________________ *RRRRRRRRRRRY श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [1690 मायनो संभोगो युणिएण समं / / 1908 // एताई हाणाई जो तु सह होतओ पमादेति / अण्णे आपति जी घेत्तू जव तं केती॥ | 1909 // सेसाणुपालणहा तो तं उम्मंडली करेंती उ / जदि आउति जुजति ताडे मेनिज्जति पुणो नि // 1910 // अड पुणा चोइज्जतो बट्टसो गाउट्टए उ तं दोसं / मति नाभद्धिजुत्तो णिज्जूहतीउ त ताटे // 1911 // अट मदलाभलटी " य जोगं जुज्जती अहन्धाम / सोहि सरंटेऊण मेलिज्जा मंडलीए तु॥१९१२॥ किं कारण गिज्जूहणा जंग. गुत्तरधराणं / ण करेती वच्छल्लं तेण उणिज्जूहणा तस्य // 1913 // एवं आयारएण उ जोगो मनस्स चेन गच्छस / बोळव्यो दिदहतो गएण इत्थं इमो होति // 1915 // जड गयकुलसंभ्रमो गिरिकदरविसमकड़गदुग्गेसु / परिवहति अपरितंतो णियगमनीलगते दंते // 1915 // तह पवयणत्तिगओ साडम्मियनच्छलो असठभावो। परिवहति अपरितंतो खेतविसमकालदुग्गेमु // 1916 // जर्जादे एकभाजिमिता गिहिणो विय दीडमेतिया होति / जिणवयण बहिब्भूता धम्म पुण्णं अयाणंता॥१९१३ // किं पुण जगजीम्सुहाबडेण संभुजिऊण समणेणं / मरको टु एकमे. को णीयओ विव रक्सितुं देहो ? // 1918 // करिसयं मंझुंजे केरिसयं वा वि न ण संभुजे / भन्नइ उगमसुद्धं भुजे असुद्धं मुंजेज्जा // 1919 // चोदे आहारादी उम्गममादी असुद्ध मा भुंजे। जं पुण अपेहणादी का. लादीहिं उवहयं तु // 1920 // नं पुण सुद्धोवडिणा मा समयं एक्का तु बंधेज्जा / संघासेणं तस्य उ उवघातो मा हु सुद्धस्स // 1921 // भपति सुद्धस्य जती संघासेण तु डोति उवघातो / सुदेण अन्मुख - स्स वि पाति सुद्धी तवमएण // 1922 / / अह उवधातो ते मतं संफासेण उ मता विसोही ते / गणु ते इच्छामेतं य इच्छामेतओ सिद्धी // 1923 // उवघातो चिसोही वा धिम जीवस भावतो ए. सो / उनघातो लिसोही का परिणामवसेण जीवस // 1924 // तस्सेव पसस्थस्स उ परिणामरस अह रकमणढाए / कीर्शत संभोगबिही गच्छपसत्तीइ मा गच्छे // 1925 // संभोगकप्पदारं एवं खलु वणितं मए एवं। आलोय. णकविहिं एत्तो वोच्छंसमासेणं // 1926 // दुविहांड सेवणाए REFRESHERE