________________ [278] श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग जाव कालमासे कालं किच्चा अण्णतराइं आसुराई कि ब्धिसियाई ठाणाई उयवत्तारो भवंति / ततो मुञ्चमाणा भुज्जो 2 एलमयत्ताए पच्चायतितं खलु समगाउसो! तस्स निदाणस्सजावणी संचाएति केलिपण्णत्तं धम्म सहहित्तए वा पतिइत्तएवा रोइत्तएवा ॥२०५१॥एवं खलु समणाउसो ! मए धम्मे पण्णत्ते जाव माणुस्सगा खलु कामभोगा अधुना तहेव संति उझ्ठं देना देवलोयसि अण्णं देवं अण्णं च देवी अभिलुजिय२ परियारेंति, णो अप्यणा चेव अय्याणं विउलिय२ परियारैति.अय्याणच्चियाए देवीए अभिमुंजिय 2 परियारैति / जति इमस्स तवनियम तंचेव जाव एवं खलु समणाउसो ! निग्गंथो. वा निर्णधी वा निंदाणं किच्चा तस्स ठाणस्स भणालोइयअप्यडिळूते जाव विहरति 2 / से गं तत्य अण्णे देवे अण्णाओ देवीओ अभिमुंजिय र परियारेति, णो अप्यणा चैव अभ्याण विउलिय 2 परियारेति, अयणच्चियाए देवीए अभिमुंजियरपरियारोति 3 / से यांनाओ देवलोगाभी आउखएणं नहेव वत्त वं वरं हंता सदृहिज्जा यत्तिएज्जा रोएज्जा से णं सीलवय-गुणवय-रमण-परचक्रवाण-पोसहोरवासाई पडिवज्जेज्जा ? नो इणढे समठे 5 / से णं सणसागए भवति अभिगयजीवाजीवेजाव अहिंगमिंजपेमाणुरागरते जाव एस अढेसेसे अगढे 6 / से णं एथारूवेणं विहारेणं विहरमाणे बहूइंवासाई समणोवासगपरियागं पाउणदरता कालमासे काले किच्चा अण्णतरेसु देवलोगेसु देवताए उववत्तारो भवति 7 / तं एवं खलु समणाउसोतस्स निदाणस्स इमेयारूवे पावफलरिवागे जंणो संचाए द सीलन्वय गुण्यवेरमण-पच्चारवाण-पोसहोववासाई पडिवन्जित्तए॥