________________ [23. श्री आगम मुधा सिन्धुः नमो विभाग: थाए समणे जिग्गंधे सरिडवासपोरयायाए समणीए निगगंधीए कप्पड़ आयोउवज्झायत्ताए उहिसित्तए '416 // मू.२०] गामाणुगार्म दुइज्जमाणे विन्यू अ आहेच्च वीमुम्भेज्जा, तंच सरगं कर साहम्मिया पासेज्जा, कप्पइसे तं सनीरया मा सागारियमितिकटुतं मीशां ए. गंते अञ्चिते बहफामुए धरिले परिलहिता पज्जिता पोरहवेत्तए 1 / अस्थि वा इत्य कोई साहम्मि यतिए उवगरणजाए परिहररिहेकप्पडणं से सागारकडे गहाय दोच्चपि ओगई अणुन्नवेत्ता परिहारं परिहरेत्तए २।४७२।।सू.२१॥ सागारिए उवस्मयं वक्कएणं पउजे. ज्जा से अवक्कइयं वएज्जा 'इमोम्ह य इमम्हि य मोवासे समणा निग्गन्धा परिवसति ?, से मागारिए परिहारिए 21 से य जो वाएज्जा, वक्कइए वएज्ज्ञा-इमम्मि य इमम्मिय ओबामे समणा निग्गन्धा पनिवसन्तु, से सागारिए परिहरिए ।दीवि ते वाएज्जा-अमि२ ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्तु,दीवि ते सागारिया पारिवारिया 4 // 22 // सागारिए उवस्सथं विक्किणेज्जा से यकइयं वएज्जा-मम् य इम्हि य ओवासे समणा जिग्गन्धा परिचसन्ति, मे सागारिए पारिहारिए / से य जो एवं वाएज्जा, काइए वएज्जा-अयंसिर ओवासे समणा निग्गन्धा परिवसन्तु, से सागारिए पारिहारिए ।दोवि सेवाएज्जा- अर्थसि 2 ओवासे समणा निग्गन्या परिवसन्तु दौवि सागारिया पारिहारिया ४॥सू.२३।। विहवधूया जायकुलध्यवामिणी सांविधावि भोग]. ई अजयचा सिया किमहः पूण तप्पिया वा भाया वा पुत्ते वारसे य दोबि ओगहं ओगेण्डिधव्वा मू.२४॥ पहिएवि ओगई अणुन्न - वेयचे ५१७॥सू.२५॥ से रज्जपरिवसु संपरेमु अवागडेन अव्लोच्छिन्नेसु अपरपोरेगोहएस भिक्युभावरस अढाए सच्चेव ओ. गगहरूस पुवाणुज्जवणा चिदहइ महानन्दवि ओगहे / / .36 // रजापरियटेम असंधडेन्म बागडेन्ट वाच्छिज्जे-सु परपोरगहिएम भि. काबुभावस्म अटहाए दोच्चपि ओगाहे अणुन्जवेयने मिया 545 / / ॐ॥ सत्तमो उद्देसओ॥ अथ अष्टमोद्देशकः। गाहा // उदु पन्नीरसहित नए गाहाए ताई पाsm