________________ RRRRRRRRESS 198] श्री आगम सुगलि-यु नमो विभाग: भगिणीणा बच्चा पूता पुत्ताग नि तहेव परंपरवन्ति एमा॥४.9 / जदि पतभिधारेती पडिच्छगते पडिच्छगस्मेव / अह यो अभिधारेती सुतगुरुगो तो उ आभना // 24 // संगारो पुव्वको पच्छा पाडिच्छओ तु सो जाओ / तेग गिनेदेयव्य उदिहया पुव्वसेडा मे // 2409 // एचतिएहें दिणेहिं तुज्झ सगास अनस्म एहामो / संगारो एच कतो धाणि य तेसिं चिंधे // 2410 // कालेण य चिंधेहि य अविसंवादीहि नस्म गुरुणिहरा | कालमि विसंवदिए पुच्छिज्जति किं ण भाओ सि // 242i संगा. रियदिवसेहिं जदि गेलण्णादि दीपयर्यात तो तु / तस्सेव अह तु भार वो विपरिणतो पच्छ पुण जातो // 212 // तो होति गुरूस्येव तु एवं सुतसंपदाए भणितं तु / मुहदुम्सुमपण्णे एत्तो लाभ 4 नवमामि // 2413 // वदटसु मम सुहदुक्ये अहवि तुझं तु एवमवसंपेपुरपच्छसंधुया ऊ सोनभतीजे यबावीस // 2414 // सुदुक्सन्संपदेमा एत्तो सेनोलसंपदं वोच्छ / सेनोग्गडो सकोस वाघाए ना अकोमं तु // 415 // पने उग्गह माहारणे य वामें 7. हेव उडुबद्धे / सव्वादिसामु सकोस णिव्याघातेण पने 3 // 2416 / / अडविजलतेणमानदनाघाते एगदुरातिचतुमुं वा / होज्ज अकोसो उग्गडो अधुणा साहारण वोळे // 24 // माहारण होज्जाही प. डिलेडण पुजपच्छाणिग्गमणे / पुवं पच्छा पत्ते आयरिए वसा ज्जासु ॥२४॥दगमादीगच्छाणं पडिलेहगणिग्गताण समगंतु / पत्ता खेतं एसो पटमभंगोमणेयचो // 4/4 // समगं णि. गगम एक्के पच्छा पत्ता य वितियो भंगो / पच्छा णिग्गय पुर्व पविदहा पच्छा य दुहतो वि // 2420 // पढमगभंग जो सलु पुब्धि तु अणुण्णवेति ने खेती / म. मग पुगणुविए सामण्णं होति दोपडं मि // 41 // विनियाभी द. प्पेण पुधि पत्ता उ जटि गऽगुण्णावते / इयरेमि अमटाण य अणुएणउताण येतं // 18 // पूरणिगना कहं पुण पच्छा पत्ता 3 नेडवेज्जाडि / गेनन्जखमगप्पारण वाघागे अतर हज्जा२४२२०