________________ (245] भी आगम सुधाग-धु खमो विभाग पन्तरमवासनियायम्स ममणस निगराधस्म कमाइ चारणभावण। नाम अज्झयणे छोसित्तए / सु.३१॥ सोलसवामपोरयायरस ममणस्स जिगन्धिस्स कप्पइ तेजिमगां जाम अज्झयणमोमिन्ताए।. ३२।।सनरसवामरिया यस्य समास्य नान्यस आसीविमभावणा जाम अन्झयणे उहिसिनाए / / .33 / अहारसवासपोरयायस्य स. मणरस निगगन्धरस कध्यइ दिदिहावसभावा नाम अज्झयणे उोहसिनाए / सु. 34 // एगणधीसइवासपोरयायास्य समणास्य लि. गान्धरस कप्पइ दिदि हवाए जाम भइौ उद्दिोसनाए / सू. ३५॥वी. सवासपोरयाए समणे निगान्धे सबसुयागुवाई भवर 938 // सू.२६ // दविहे वयाचच्चे पल्लने, त जहा माया यवैयात्रध्ये उवज्झाययावच्चे धेरचेयावच्चे तरिय यावच्चे सेहव्यावच्चे गिलाणचेयाचच्चे माहम्मियचेयावच्चे चाल यात्रध्ये गणयावचे सह-द्ययावच्चै / / आरयवे यावच्चं करेमाणे समणे निगा महानिज्जर महापजघमाणे भवन, एवं जाव व्यायचे यावच्छ करेभाणे यमो लेगिन्धे महानिजरे महापज्जवसा भवाइ 2. 5. 57 .37 // दसमी उहे मी // 10 // // इति श्री व्यवहार छेदसूत्रम्" ॥लिखितं श्री तपागच्छ मलाण-दिनमोणे. पल्यासप्रवर श्री बुद्धिविजय - गणिधर पादाम्बुज - भृायमान - पल्ल्यास. श्रीमदाणंदविजय - गणिवर चरणचन्द्रचकोर-मु निप्रवर. श्रीहर्षीवजय - मुजीन्द्राडिन-सर्रासकह - मानस-राजडंस . तपोभूति - जैनाचार्य * श्रीमद्विजय कर्परसूरी धर-पE२. शासन - प्रतिवादीभकण्डीरव डालारदेशोद्धारक- कविरत्नाचार्यदेव. श्रीमद्विजयामृतसूरीश्चर- चञ्चच्चरणचञ्चरीक -लिनेय - श्रीमदागम - संशोधक - विदर्य-गुरुदेव- पन्नासप्रवर श्री. जिजेन्द्रविजय . गणिवर-कृपया, जामनगर प्लोट तपागच्छ शांतिभवन पीर सं० 2505 वि.सं.२०५५ माघशूक्त राष्ट्टयां शुक्र त्रास श्रीविमलनाथस्वामि-प्रसादान // .