________________ 免密免免決定免空央空空空空空 - [222] श्री भागम मुधा सिन्ध नवमो विभागः तीते वसतीए सेस डोंति ने घेर / भिवसानियादी जे भोगता मामतीतस्मि ।दारं / / 1029 // आयोजणा एसा कालवे बोणता अणिताणा / एनो पज्जोमवणासामाथा िपत्रमामि 1030 // पजनु वास.जोग्ग बर्दिया अच्छति ना सदिकसंता / जे अंतरा गिण्डे नमः व्य नेयि सेनीj // 1031 // मह पु वच्चंता वाक्याजोग तु अंत. रावास / भारद्धहरगामे ग पहचनि एगवसहीय // 1032 // अ. गणोण्णटिडताणां बहवो सागरिया का नीति / परिहरि नाहे व ज्जे गुरु मारियं गरि एक // 1.33 // अविसेस ममाथारी प. जोन्सनाए वणिय णिमीहे / सच्चर गिरलसेमा इमम्मि दारमिम णायचा // 1034 // बुझ्ठस्स तु जो वासो वड्टी व गतो तुका रणेण तु / एसो तु इटवासो नस्य तु कालो इमो होति // 1035 // अंतोमुत्तकालं जहण्णमुस्कोस पुचकोडीनु / मोतु मिडिपरियाग जं जन्म न आउग तिन्थे // 1036 // मरणे अंतमुहतो देमूणा पुबकोडि कह होज्जा / / जो नरुणो च्चिय समणो असमत्यो विहरितुं जातो // 1037 // कदा - विज्जा चरियं लाघवेण तवस्मी तत्तो तवो देसितो सिद्धि मग्गो / महानिहिं संजम पालइना दीहाउसो बुइटवासरस कालो। 2038 // विज्जा तु बारसंग करणं तस्स गहणं मुणेयव्यं / सुत्तं बार समाओ त. नियमेता य अत्येवि दार // 1036 // विन्तु सुत्तत्थाइ बार समा देस - दंमण च कत / चरियं भंतेगडें लाघविएण तु तिबिहेण // 100 / / उवकरण सरिदिय एवं तिविह तु लाघवं होति / उवकरणारत्तदृहो धरेति // य गिण्डए अहियं // 1.1 // संघयणधितीजुत्तो ओकसो ण तु धूरदेडसारीरो / दारं / वसिदिभो नवरसी / दार / चउत्थमादी नवो चिन्जो // 1042 // कुव्वरेण अछित्ति णाणादी देमिोति मोक्यपहो। दार / सत्तत्थवदेसेणं मंजामेय संजमेणं च / दारं // 1043 // काऊण भयो. छिति बारस वासाई णिच्चमुज्जनो / दीडाउतो तु सूरी पडिवज्जेब्भुज्जयविहारं // 10 // 4 // अब्भुज्जयमचयंतो अगीयमीमो वे गच्छपरिबद्धो / अ. छाते जुण्णमहल्लो कारणतो वावि अन्नोवि // 10 // 5 // जंघाबले व वीणे गेलणे सहायनो व दोबल्ले / अहवावि उत्तम: णिप्पत्ती चेव तक णाण ||1016 // ताणंच अलंभे कयमलेहे व तकणपरिकम्मे / एतेहिं FFEREFERRRRRRES