________________ [74 श्री आगम सुधा सिन्धु नवमी विभाग देहि / भरि गारी दुपदेहि तत्व य मणुस्सदुपदेटिं // 183 // तत्थोवे य कम्मभूमग संस्विज्जगवास आउ तु पचइतुकामड़ें तावत् होति अहिगारी // 18 // सो होति छविही न बोधव्यो मणुयजीवकंप्यो तु। वोच्छामि तस्स इणमो भेदविकम समासेणं / / 185 // पव्यावण मुंडावण. सिक्खावणुवह भुजसंवसणा। एसो तु जीवकप्पो छोटो होति णायच्चो // 186 // अभुवगमो पव्वावण मुंडावण होति लोयकरणं तु / गहणासेवण सिक्छ सिक्स्याविन्तम्मि सिक्सवणा १८वयहवणमुवडवणा संभुंजण मंडलीए सह भोगो 18गततो सहवासो संवसणा होति पायव्वा ॥१८॥णाऽपचाोक्ते मुंडावणा तु णाऽमंडिए तु सिक्ववणा / एमादी तु विभासा पव्वावयंती तु केरिसगा // 189 // सुत्तत्थतदुभयावसारथरस संगहउवायकु. सलस्स / कपात पव्याचेतु संवेगमुदितमतिस्स // 190 // मुत्तत्थण विसारए चउभंगो एत्थ होति कायच्चो / तं चैव तदुभयं बलु विसारतो जाणतो तस्स // 192 // दव्ये भाचे संगहो दचे आडारमादिहिँ तु। सिक्स्थावणगिलाए गेलण्णे व करणं तु॥१९२।। भावम्मि संगहो खलु णाणादी तं तु होति बोधच्चो / जाणइ बट्टावेतुं गच्छ तु उवायकुसलो तु // 193 // संसारभउब्धिग्गी संविग्गो सोतु होति णायव्वो। एतेसिंत पदाणं चउभंगा डोंति एक्कक्के / / 194 // तदभयविसारदो घलु ण संगहे कुसलो एत्य चउभंगो। तदुभयउवायकुसलो एत्यपि तु होइ चउभंगो // 195 // तदुभयसै विग्गेडि वि चउभंगो एव डोति कायचो। एच गुणजातियस्सा पचानेतुंतु कपति तु / / 196 / / पचाविंता भणिता अइया पब्वाणिज्ज चोच्छामि। परज्जाए जोग्गा जे वा होंति अजॉग्गा तु // 19 // पव्चावणारिहा स्वलु जातीकुलविणयसंपण्णा / तोव्ववरीय गुणा स्खलू होति अपव्चावणाजोग्गा // 19 // तेसि तु जे विवक्या तविवरीया ठबंति ते णियम।। अहवावि इमे वीस वन्जिता से गा जोग्गा // 199 // बाले बुइटे नपुंसे य जडे की य वाहिए। ले. गो रायाऽवगारी य उम्मन्ते य असणे // 200 // दासे दुद? य मूर्ट य अणने जोगते इय। ओबद्धए य भयए सहानफोडेया इय॥२१॥