________________ 2ERE श्री पञ्चकल्प भाष्यम् 1171. य संजोगा गियमा उ य विप्पभोगता। दारं // 16 // ह उवही उपाय ण दव्बादीया अभिग्गडा जे तु सति सामत्थे तेम्मु नि मा टु पमायं के रेज्जाऽणु // 1387 // अहवा अभिग्गहा तू कुणति जिणा य ने समस्या दारं / एवं सासेतु गणं ताहे गणहरि अप्पाहे // 13 // गणसंगडून ग्गहरक्षणे तुम मा टु काडिसि पमादं / हितकप्पो छ जिणाण Tig रपरिवाडिया गच्छे / / 220 / मज्जारमियसरिसोनम तुम मा इ काहि मि निहारं / मा णासेडिसि दोणि वि अप्पाणं चेन गच्छं // 1490 / / बइठनओ बिहारो जिणपण्णत्तो दुवालसंगम्मि / जह जिणकप्पियपरिहा. रियाण) सेसाणा नि तहेव // 1391 // परिवइटमाण सइटो जह जिणा. कप्यो नहा करेज्जासी / अकरेतमप्पणा तू ण डने अण्णं इन जाउ // 1392 // जो सांगड तु पलित्त अलसो तुन बिझने ममायणे / सो 'न विसडियच्चो परघरदाप्पसमम्मि // 1393 // गाणं अडिज्जिऊण जिणग्यणं दसणेण रोएना / म चएति जो घरेलुं अप्याण गणं ण गण, हारी // 13 // णाणे डिज्जिऊणं जिणवयणं दसणेण रोएता / चाएति जो धरेतु अप्याण ग स गणहारी // 1295 // णाण अहिज्जिऊण जिणवयण दंसणेण रोएता / एचएति जोडवे अप्याण गण ग. जडारी 139;" णाण अडिज्जिमणं जिणग्यणं टंसणेण रोएना / चा ते जो हवे अध्याग गण स गणहारी।१३९७णाणाम्म दसाम्मे रातो चरितेश समसार्शम्स / ण चएति जो हवे अप्माण गणां ण गणहारी / / 139 / / णाणम्मि दमणम्मि य तवे चरिते य समणा. सारीम्म / चारति जो डर अप्राण गण गणहारी / / 1399 // एसा गणहरमेरा आयारस्था गणिता सुते / लोगमुहाणुगता अप्पच्छंटा जाडेच्छाए // 1400 // लाहमुह सहादी विसया तेसिजे भवेस्ता / * प्पच्छदा ते 3 विधा ते सह पुण्णातो // 1401 // उगमउप्पायाएसणाउ चरित्तरस रसायणगए / पिंड उहिँ सेज सोतो होति सचरिती // 2 // सीमावेति बिहार सुहमीचलेण जो अबुद्धीओ / सो प्रवरि लिंगसारे मजमसारोम्म णिस्सारो // 13 // तित्था चउणाणी सुरमडितो मिझियन्वय धवम्ति / अणिग्राहियजलबीरिभो REFERREFES