________________ BREARRARYA 140 - 35 श्री आगम मुधा सिन्धु: नवमा विभागः दोडग्गह पतियादी पडिमाऽभिग्गडण भत्तपाणस / दोडिं तु उरिमा गण्डं तेवस्थपालाइ 1677 दवादभिग्गहा पुण रयणावलिमादिगा व बोधब्बा / एनेसु विदितभावा उति जिणकप्पियविहारं // दारं // 1268 // परिणाम जोग सोही उडेिविनेगो य गणणिकमेनो य / सेज्जामंधारविनोहणं च विगतीविवेगं च // 1369 // गणहरडवणं च तहा अणुमदडी पन तह य सीमाण / मा. मायारी य तहा वत्तबा होति जिणकप्पे // 1370 // अणुपालिओ य दीहो परियाभो वायणा वि मे दिण्णा / अमुज्जयाण दोण्डं उवेमि कतरं गु१ परिणामो दारं // 1271 // सोहिणिमित्तं जोगाण भावणा मा इमा तु.. पंचविहा / तर सत्त सुतेगते बने य तह पंचमा होति // 1302 // एतेलि विभामा उरि भणिहिनि मासकमम्मि / दारं / सेसाई दाराई वोच्छामि समासतो द्रणमो // 1373 // पुवुबहिस्स निवेगं काउं गेण्डति अहागडं उवह अभिगहियमेमणाहिं उप्यादेउ सयं चेव दारं / / 1304 // गणसण्णा स करेती जो जहिं डाणदिहतो तु पुनम्मि / तत्थेन हवेती गंणणिकमेव च इनरियं / / 1375 // सेज्जाए अपरिभुत्ते डायति त हिय तु ए. गदेसकि। / दारं / संधारे उप्पादे अडाकडं एसविमुद्धं / दारं // 1376 // विगतीओ यण गेण्डति गेण्डति भत्तं च सो अलेवाडं / दारं / इय भाविउ ह जाडे ताडे हवती गणहरं तु॥१३७७॥ गणहर गुणसंपण्णं वामे पासम्मि डाबइत्ताणं / चुण्णाति धुडति सीसे मच्चित्तादी य अणुजाणे ॥दारं // 10 // डांवेऊण गणहरं आमंतेऊण तो गणं सव्वं / तिविडेण समाती सबालवुइठाउलं गच्छं // 1379 // संवेगजणियडामा सुत्तस्थविसारता पयणुकम्मा / चिंतेति गणं धीरा गिता विडते जिणाणाए // 130 // णिद्धमडराति सेमं परलोहितं गुरुण अणुरुवं / अणुमादिदं देति तहिं गणाडिनतिणो गणस्से // 31 // तवणियमन्सपउत्ता आक्स्सगझाणजोगमल्लीणा / संजोगनिप्पमो. में अभिग्गडा जे समस्याणं // 32 // सुप्पले णिभिरंतेहिं गणो वी चितिओ भवति सो उदार/विदाए दिदडीए आलोए तं गणं सव्वादारं॥३२ . बांयाए मदराए आसानेदारं। अपरिमणिस्सेस / दारं गुरुमणुकर नहरिहं सवालबुइठाति राइणिए / दानं // 13 // तो डोति बारमविडो टूह णियमो इंदिओ य णोइंदी / आवास समायारी गेधवा चक्कवाला उदारं // 1305 // सुत्तस्थझाणजोगे मल्लीणा तेनु डोह जुत्ताउसोने ఇక