________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽獎獎獎獎 . VE] श्री आगम सुधा सिन्धुः :: नवमो विभागः .. // 1664 // दुकप्पविहारीणं गतामायणा यबंधो य / आमायणा यचं. श्रेण व दीडो तु संभागे // 1665 // सणणाणचरिते तबविणए णिच्चकालमज्जलो। णिच्च पसमिओ पवयणमि जाणासु सुकप्पं // 16 // सुक्कप्पविडारीणं एगंताराहणा य मोक्यो या आराहणाइ मोम्येण चेव छिण्णो य संसारो // 1667 // दसकप्यो समतो। बुत्तो दसविडकय्यो अडणा वीसतिविहं तु वोच्छामि / तस्य तदारा इणमो संगहिया सीहि गाहाडिं। 1666 // कप्पेसु णामकप्पो डवणाकप्यो य दनियकप्पो य / मेने काले कप्पो दमणकप्पो य मु. तकप्पो // 1669 // अन्झयण चरितमि य कप्यो उबही नहेन संभोगो . / भालोयण उपसंपद तडेव उद्देसणुण्णाए // 1670 // अद्धाणमि य कप्पो अणुवासो तह य होति हितकप्यो / अहियकप्पो य नहा जिणधेर अणुनालणा कप्पो // 16 // जो चेन दविथकप्यो बिहकप्यंमि होति बस्याओ / सो सेव गिरवसेसो जो य विमेसोऽन्य तंबोच्छ॥१२॥ एस पुण तिनिहकप्पो अहर इमं भावकप्पमज्झयणं, | सव्वं वा सुतणाणं दायव्वं करिने होति / / 1673 // सुपरिच्छियगुणदोसे कोलघणादीहिं तु परिच्छाडि / मुनिसोहितमिहमले उंडियभोमादि मातेहिं // 17 // सनपि य सुधणाण सुत्तन्यो सडिटए तु.. अन्सडठी अह पूण को परमत्थो विसेसओ पवयणहस्म // 1675 // पवयणरहस्समेताणि चेव भण्णति छदमुत्ताणि / ताणि म दायवाणिं भण्णति सुत्तमि को दोसो 1 // 1676 // अप्पं पियतंबर्ग अरहस्समपारधारए रिसे। दुग्गतगमाहणे निव जह वइरगहीरगादीया॥१६॥ // जह फेल्लमाहणेणं रचाए बदर हीरतो लद्धो / सो अण्णस दरि-. सिओ तेण वि अण्णरस सो सिटहो // 17 // एवं परंपरेणं रण्णो करणं गतो तु सो ताडे / ताहे दंडितो रण्णा हडो य सो नइरहीरो से॥६. एवं अपरिणथस्सा किंची अनवादकारणं सिट / सो कस्यति अण्णेमि परंपरेणं चरणणासो // 160 // तम्हा परिच्छिऊणं देयं निहिमुत्तबद्धपेठस्स। परिणामगरस जतिणो ण तु देयं अपरिणामस // 1681 // दरियकप्पो समहिगतो ण भणिय जं डेदह तं भणामि लि। सो भपणती क्सेिसो इणमो बोसमासेणं // 2 // दवं तु गोयब . 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎