________________ 空空空总部免免染色免杂杂杂 श्री पञ्चकल्प भाष्यम् / - [193] / तिओ। एते पत्तेय उवघाता उहिस्स तु वीसति / / 2 / / उगमेणं तु अम्सुद्धं तहा उप्यायोसणा / उवहिं उनहतं जाणे वोच्छामि परिकम्मणे // 3 // परिकम्मे चउभंगो का - रणे विडि बीतिओ कारणे अविही। नइओ णिककारणम्मि य विहीं चउत्थ णिस्कारणेऽविहीं // // गगारदंडी वेलातग स्वीलगमादी य होति अविही उ / णिस्कारणम्म तीय तु परिकम्मे तम्मि उवघातो // 65 // भाणस्स वि परिकम्म णिम्मोयण लेन सिचणादी य / शिक्कारणमनिडीए कुणमाणे डोति उखघातो दारं | | अभिंतरं च बाहिँ बाहिँ अभिंत. 2 करेमाणो / परिभोगविवच्चासे उवधातो डोति णायचो। दारं / / 67 // णियगोडि परिभोगं समणुण्णाण_ण देति कज्जम्मि। जो भडमच्छरीयत्तणे उडिस्य उनघातो / जतिधारे - पडिडरियवत्वं पादं च जो गडेऊणं / पुण्णेवि तमिम काले अणपुच्छ धरेंत उवघातो // 19 // लोइय लोउत्तरयं परियटिय जो तु गिण्हती उचहीं। उग्गमदोस असु. द्धं च उनहतं तं तु णायब।०॥ अण्णा मागतस्य तु जूस्य उ उडिस्स उगमो 7 णज्जे / सोऊणं परिभुजति उप्यायंते य णायम्मि / दारं // 1 // पामिच्चं उ. ज्जुयगं उच्छिण्णं चेव होति णायव्वं / लोइय लोउन्त - रियं तु उवहतं ने विधाणाहि // 2 // अण्णनहते असते दिण्णे साइरस अण्ण जदि वाहे / तंतु पवाहणदोसा उव. ही त् उनहतं जाणे // 73 // सुणए वानरेण वजह सबगमादि हरितुमाणीतं / दिज्जंतदिज्ज वा गेण्हतं उबहुतं जाणे non अण्णाणोवडतो खलु वत्यादि मकपिएण जो गहिओ ।दारं / मालोड्डो (75 // अणरक्सिाउत्ति सुण्ण उन िभोन्नुण जो उ गच्छेज्जा / भिवसादीणहाए मोऽवि य उडिस्स उवघातो / दारं / / 176 // सयमेव करे उवही मिसेज्जाई सोऽवि मोडतो डोदि / दारं / / काइन अण्णे उवधातो मोवि बोधवो // 7 // जाणे // 4 // अपोलो जो तु बेहासा // 'న్యూ