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________________ परिस की दशा श्रुत स्कन्धसूत्रं 00 दशा 20] [21] पा, धम्मियं जाणप्यवरं दुरूहति सकोरिटमल्लदामेणं छनेणं धरिजमाणेणं उपवाइयगमेणं जाव पज्जुवासइ / एवं चल्लणावि जाव मह-तरगविंदपरिविवत्ता जेणेव समणे भगवं महावी तेव उवागछति सत्ता समयं भगवं महावीरं वदति नमसति रत्ता सनिय रायं पुरी काउंनितिया फेव पन्जुवासति / ततेणं समय भगवं महावीर सेणियास रण्यो भंभासारस चिल्लणाए य देवीए तीसे महतिमहालियापुर परिसाए जइपरिसाए इसिरिसाए मुणिपरिमाए देरपरिमाए मणुस्सपरिसाए देवी रस्साए. अणेगसथाए जावधमोक सेणिओ राया पडिगभी 3 // 044 // तत्थेगतियाणं निग्गंधाण य निर्णधीण य सेणियं रार्थ चिल्लणं देवी पासित्तागं इमेशासवे अज्झथिए आव संकय्ये समप्यन्जित्था- अहो गं सेणि राथा महड्ठिए जान महासोक्य जेणं बहाए कयनलिकम्मे कयको उयमंगलपायच्छिते सव्वालंकारा भूमिते चिल्लणाए देवीए सर्वि उरालाई भोगभोगाई झुंजमाणे विहरति / न मे दिठे देवे देवलोगमि, सम्वं खलु अयं देवे। जब इमापस तबनियमबंभचेरवासम्स मलवित्तिविलेसे अस्थि तथा क्यमवि आणमस्साए इमाई उसलाई एथारूवाई माणुस्सगाई भोगभोगाई मुंज. माणा विहरामो सेतं साहू 3. अहो णं चिल्लया देवी महिडिव्या जाव महासोमवा जाणं बहाया करवलिकामा जाव सबाल. कारविभूसिया सेणिरण रण्णा सउिरालाई माणुस्स्सगाई भोग भोगाई भुंजमाणी विहरक्षण में दिगओ देवीओ देवलोए, सम्वं खलु य देवी 51 जर इमस्त सुचरिथरस नवनियमबम चरवासस्स कालाणमलवित्तिविलेसे अस्थि वयमवि आशर्मिस्साणं इमाई एयारवाई उरालाई जार विहामो,सेतं साहुणी ६॥सू०४५॥ अज्जोति समणे भगवं महावीरे हवे निजथा य निग्गंधीय आमंतिता एवंन्यासी-सेणिय शयं चिल्लया दे वीच पासित्ता इमे एयासवे अन्झथिए जाव समुप्यान्जित्था भहो यां
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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