________________ 22812 श्री बृह-कल्य सूत्र के उद्देशकः 4] [57] पाते बहुफामुए पएमे पोरवेलए अत्धि य इत्य का सागारियमंतिए उवगरणजाए चिने परिहरणारिहे कप्पर से सागारकडे गहाय त सरी. रा एगंते बहफार पारी परिवेत्ता तत्व उनि कवियध्ये सिया '६९.'।सू.२४ // भिव य आहारण कटु तं औरणं अविभोसवेता नो से कप्प३ गाहावइकुल भत्ताए या पााए वा निकमित्तए वा पविमित्तए वा अहिया विहारभूमि वा विद्यारभूमि वा निमित्तए वा परिसित्तर ला, गामाणमाम इज्जित्तए गणामी या गणं संमित्तए वा. सावास वा बत्थर, जन्धेव अप्पणी भारियउवमायं पासैज्जा बहुस्सुयं (तस्संतिए भालोएज्जा इत्यादि पा.) अज्झा(भा खा) गम कप्पा से तस्सन्तिए भालोएत्तए परिमित्ता, निन्दित्तए गरिहित्तए विउत्तिए वि. सोहितए अकरणाए भभुदिना, भरि पाच्छित तवो कम्म परिजि. तए से य एवं पािः भाइयच्चे मिया. मे य सुए जो पविए ने भाइयव्ये सिय सै८ मुए प्रविज्जमाने भाइयइ से निज्नहियव्ये सिया ' स.२५ परिवारकाप्योदय भिकस्म कप्पर आरि यउज्झाए : नदियम एगीराम घिरवाय दयावेत्तए तेण पर लो मे कप्पा असणं वा 4 दार व मणप्पदा वा कप्यार में अन्नयर वेयार रिय करेत्तए, जहा - उद्राचा निम्मी व घटाव वा च्या रपासवणस्त जलसियाणाः चणा व विमे हा बा करेनए, मह पुण एव जाणेज्ज' छिन्नमम पंधेर तवम भाउ झिझिए विवालिए दुखल मुच्छज्ज व प्रवडेज वा एव से कप्पड असण. वदा जगप्पदा सू.२६॥जो कप्पर निगराधा, वा ज ब म अ च महण्णवामी महानईओ उदि हामी गोपाभ चोख्याअं. अते मासम्म टुक्ने वा तिक्युन वा उत्तरित. एव सतोरन वा. जहा - 7 जण सरयू कोमिया मही // .27 // अह पुण एव जाणेज्जाएरावई कणालाए जा चकिया एक पाय जले किच्या एग पाय पले किच्यः एव कप्प असे मासस्स दुल्त्सेवा नियम तो वा उत्तरित्तए वा सतरित्तए वा, जन्ध एवं जो चकिया एवं गंजो क. प्पड अंतो मासस्म दुवभूत्तो वा तिक्त्ती चा उत्तरितए वा संतरित्तए FREEEEEEEFFERE