________________ श्री पञ्चकल्य भाध्यम् ___[1910 याकडजोगी गाडियन्यो नु जो अववादो / गहिओ जवि उस्मग्गो गहिते वा मंदधम्मो उ // 22 // सो रोए अरेसण्णो इति एसो नरिणओ चरणकप्यो / उनवादकप्यमहणा वोच्छामि जहक्कमेण तु // 28 // पंचहिं डाणेहि वियर्दिटऊण संविग्गसइठ्याजुत्तो / अभुज्जत विहारं उवेइ उवनायकप्पो सो // 20 // उववयण उववाओ पासस्थादी य पंच हाणा तु / तेसु विक्टिं तु नटिनो वियदिटओ होति गायवो // 2291 // संवेगसमानमणो पच्छा उ उति उज्जयविहारं / एस उववायकप्यो गिसीहकप्पं अतो वोच्छ॥२२९२॥ चतुहा णिसीहकप्यो सहहणऽणुपालणा गहणसोही / सहहणा वि य दुनिहा ओहेणिसीहे निभा. गेय // 2293 // ओहे तिहत्थकम्मकणमाणे रागमतिया दासा। गेण्डणमादि विभागे अहवोघो होति उसग्गो // 29 // अववादो नु निभागो सव्वंऽपेतं तु सद्दठंतरस / सद्दहणाए कप्यो होइ अकप्यो पुण इमो ह // 2275 // मिच्छत्तस्सुदएणं ओसण्णविहारताए सद्दडणा। गणहरमेरं मोहं महहती जो मिमी तु॥२२७६ // ओसण्णाण विहारं सहहती सुविहिताण गणमे। तुमहहती जो मनु एस अकयो तु सहहणे // 15 // जाणि भणिताय सुने पुवानरंवाहिताणि बीमाए / नाणि अणुपालयंती मनाणि शि. सीहकप्पो नु // 2298 // सुत्त-थतदुभयाणं गडणं बइमाणविणयमच्छरें / चोहममुचिणिबद्ध पकय्यगहियमि गणधारी // 29 // तिविहो य पकप्पधरो मुत्ते अन्थे य नदुभए चेव / सुत्तधरमोनु तइओ बितिओ ना होति गणधारी // 23 // निगपणग पण उपकं अडग गनगच जस्स उनलद्ध / हवणाकरण दाणं च सोहसोही बियाणाहि ॥२३०१॥णाणादीणं तियगं पणगं वनहारो होति पंचबिहो / मितिययणगं पं. च बता धक्कं पुण डोंति धक्काया // 23.2 // आलोयणारिहगुणे अ नु अहना विसोहि अडनिहा / आलोयणतादीय मूलंत जाणनी जो नु // 22.3 // आलोयणमादीयं अणवह तं तु गरिह होति / पारचितं तमहना दसविह होती चमग // 2304 / / डवणा