________________ 聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽聽褒獎 [190] श्री आगम सुधा मि-धु बमो विभाग छण्ड पि तिप्पगारं सहहे संधाण माहणता // 2201 // सहति सम्मदमण आयरत परूनणं च कुणमाणो / मधाणकय्य एसो एवं सेसाण वीणेयं // 2572 / / सधागकप्य एसो भणितो नु समासतो जिणसातो / संसेव-समुहिह एत्तो वोच्छंचरणकयं // 2273 // आहारउहि सेज्जा तिकरणसोहीए जाहि प. स्तितो / परहितविहाराओ तो चलती विसयपडिबद्धो / / 2275 / कोति विसेस बुज्झति पसत्यहाणा अहं परिभदहो / अंपत्तेण कोई ण बुझाए मदधम्मत्ता // 2275 // दव्ने भारे अंधो दव्ये चकम्यूहि भावे ओसण्णो / संविगान्तं ण रोयति णितियाण पहाणमिच्छतो // 2206 // उत्तो जुत्तविहारी तंव पसंमते सुलभबोही / ओमण्णविहारं पुण पसंमए दीहसंसारी // 22 / / आहारोहिमेज्जा पीयावासे वितिकरण विसोही / तह भावंधा कई इमं पहाणं ति घोसति // 2200 / / पीयादि निहामि नि जदि कुणती गिरगहं कसायाणं / तस्स ह भरते सि. द्धी अक्तिहसुन्तै भणियमेयं // 2201 // बडुमोडे विड पुलिं वि. हरिता संबुडे कुति कालं / सो मिति अनि य इमे पुरिमज्जाता भने चतुरो // 20 // णाणेणं संपन्नो णो न चरितेण एत्थ चनुभंगो। तेणेसेव पहाणो एवं भासंति णितम्मा // // नम्हा तु एताइ कुज्जा आलंबणाई मतिमं तु / कुज्जा हि पसस्थाई इमाइ भालंबणाइ तु // 22 // नित्यगरा चरितं चरितं कमिणंगपारगाण च / जो जाणति सहहनी ओमण्णं सो रोति // 22 // च. सिन्झितव्वगंमि वि तिस्थगरो जर्दि तवमि उज्जति / कि पुणत -उज्जोगो अवसेसे िण कायवो // 24 // चोहन्सपुव्वी कसिणंगपारगा तेमि जो उ उज्जोगो / तं जो जाति सोसल संनिग्गनिहारसहहतो // 55 // एमादी आलयण का संविमातं न रोति / को पुण ओसण्णनं रोएनी? भण्णती इमोतु // 2288 // सुत्तचितदुभए अकड़जोगि ओसण्णयरोयमो होज्जा / 'अहना दुग्गडियस्यों अहना पी मंदधम्मना // 20 // अण्णाणि