________________ श्री आगम सुधा सिन्धु: : नबमो विभागः . . रादी सा ण भवे // 253 / / वुइट्ह दसुक्कोसो मझो णवमि दसमी य तु जहणो। जं उवरिं तं हेहा भयणाऽप्य बलं समासज्ज / / 25 / / कैसिंचि पचंचादी वुइठो उक्कोसो उ जा सतारें। अट्टदसाए मझौ गवमी दसमासु य जहण्णो // 25 // कुककुयमादि णिसिद्धो जह मा बीयं करेहि एवंति / पुणराव य करमाणो दिही साहहिं ताहे तू // 256 // उक्कोसो दहण मज्झिममओ डाति वारिओ संतो। जो पुण जहण्णवुइटो हत्थे गडिओ णार हाति // 257 // हाणे य चिसूत्ती जह भणिओ तह डिओ भवे पटमौ / बीएण फेडियं तं तइौ णवि डायई हाणे // // 258 // एगुणतीसा वीसा अउणावीसा य तिविड वुइमम्मि / पनेयं तवटा पटमे बितिमीयतवदा // 259 // तह चैव विभागोन जह बालाणं तु डोति तिण्डंपि। किं पुण एसाऽऽसवणा भण्णति इ. णमो निसामेोडे / / 260 // आवस्य धक्काया कुसत्य सोए य भिवस पलिमंधो। धोडल अडिलेडा पमज्ज पाठे करणजइडौ॥२६१।। आवस्सथं जसको गाडेतुं जड्ड्याए सो वुइटो। एक्काय ण सहडती ण तति ते यावि परिहरि // 262 // कुहिडिकुसत्यहिं तुं भावितो नेच्छए तगं मोन्तुं / लोगस्स अणुग्णहकरा चिरपुरान्ति में म्है मो // 263 // अतिमोथवाथएणं पुर्वि गैण्डति बहु दन उड्डे / - परीहथी भिक्यारियं पलिमंध पातवही // 26 // पौडल्तं वि पा. सइ दृब्बलगहणी य गंतु ण चाएइ / अण्णव वक्लेवो चौदण इ. हरा विराहणया // 25 // पडिलेटणं ण गिण्ड पमेज्जणे यावि सो भवति जड्डो। वि तीरीत पाटेतुं दुम्मेडो जड्डबुद्धी य // 266 भंति अभिक्षमालावगं च अण्णास यावि पलिमयो / उहं वीसारेती छड्डेइ व पंधि वच्चंतो // 267 // उहितणिमिते चंकमते अ वाउडियदोसा / चरणकरणसज्झाए दुक्सं वुइटो डवेतुं जे // 268 // उग्घायमणुग्घायं व्विड पच्छित्त कारणे तेणं / तम्डा वुइट ण दिवसे जिणचौदसपश्चिए दिकसे // 269 // पब्वाविति जिणा खलु चौदसपुवी य ज य अतिसैसी / जिणमादीप्डें ते िकयरे ते दिक्षिणा दुइटा // 270 // सत्याए पुपिता चो 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎,