________________ * 222 (rs श्री पञ्च कल्य भाष्यम् सा ण कप्पती तारिसे दिक्खा // 44 // राखा व राखमच्चो कि तिकम्म संजताण कुव्वंतो। दरहण दुवकघरय सब्वे एयारिसा मण्णे // 447 // वहबंधं उट्वणं विमण दासत्तमेव पावेज्जा। णिव्विसयपि परिंदो करेज्ज सपि सो रुहो // 4 // अजसो य कित्ती या तंमूलाग तहिं पचयणस्स / लोगस्स होति संका सन्चे एयारिमा गुणं // 446 // मुक्को व मोइओ वा अडवा वीसोजतो गारदेणं / अद्धाण पविदेसे दिक्खा से उत्तिमहे वादारं // 450 // विहो य होति दुट्हो कस्सायदुही य विसयट्हो य / विहो कसायदुट्टो संपक्स परपर चउभंगो // 451 // सासवणाले मुहणंतए य उलुगछि सिहारणि सपक्चे / सासवणाल सुसभिय एगेण गुरूणमुवीयं // 452 // सव्वं गुरुणा स्वइये इयरे कोवो य स्वामणे गुरुणा / अणुवसमंते 3 गणे गाणं हवेताऽन्नहिं परिन्ना // 453 // पुच्छंतमणक्याए सोचई अण्णरस गंतु कत्थ से देहं / गुरुणो पुवं काहते दाइ य पडियरण दंतनहो // 154aa मडणंतगरस गहणे एमेव य गंतु णिसि गलग्गहणं / संमुटेणियरेण वि गलए हितो मया दो वि // 455 / / अत्थं गते वि सिबास उलुगच्छी उकसणामि तुह अच्छी / पटमगमो नार इह उलुगच्छीउ ति टोकेर // 45 // सिहोरोणे लद्ध णिवेद गुरुणं सव्वाद लेतेोरंगरणा / भत्तपरिण्णा अण्णाहें / गच्छती सो इह णार // 457 // परपक्चर्याम्म सपको उदाणिवमारतो जह पहो / सो पत्रयणरक्खडा णिच्छुर्भात लिंग हातूणं // 45 // परपोक्स सपक्से पुण जउणारायच सो तु भर्याणज्जो / तं पुण अतिसथणाणी दिवसेंतिऽधिोरणं णा // 459 // परपळसे परपक्से दंडियमादी पटुह परदेसे / उवसंते वा तत्थ उ दमगादि पदुदह भइतो वा // 46 // निविहो य विसयदुट्टो सलिंग गिहिलिंग अण्णलिंगे य / अहवा सब्बोऽनि टुडा सपक्स परपक्व चउभंगो // 46 // सपकवे बिसयदुरहो सपक्स पार्टीचओतु आ FEEEEEEEEEEEEEEEEEES