________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 अथ सप्तमोदेशकः। .. जे निगन्धा य लिपीओ य संमोत्या सिय नो कप्य नि-निको मच्छिना निधि भलागणाी आगयं सुयाया सहा भिन्ना मिनिट टारचोरेन तस्म डाणस्य अगालोमाना जाच पर्याप्तधोका परिवज्जाटो. ना पुच्छित्ता वातार वा उचहावेत्तर का संक्षिपए वा गंभि भए वा तीसे इतरिय दिसा देसंवा अई सित्तएका धारेत्तए वा ॥सू.१॥ जे निधाय जगाओ य संभोइया सिया कप्पर नि. गन्धी नियम०५) आपूच्छित्ता जिगन्धि अन्नगणाओ आगयं युयायारं सबलाथा भिन्नाया संकिलिडायरचारतं तस्स राणम आलोयावेत्ता परिस्कमावता जाव उवट्ठावेत्तएवा संभुजित्तए वा संव. सित्तए वा तीसे इत्तरिय दिसंवा अणुदिसंवा उदिमित्तए वा धारिनए वा ॥सू०२॥ज लिगन्धा य निगान्धीओ य संभोइया सिया कप्पा नि- . ग्गन्धाणं निधीगो य आपुच्छित्ता वा अणापुच्छित्ता वा निग्गन्धी अण्णगणाओ आगयं घुयाया जाब तस्स हाणस्य आलोचित्ता परिक्कमावेत्ता जाव उववित्तए वा संभुअित्तए वा संमित्तए वा तीस इतर. यं दिसंवा अदिसंबाहिभित्तए वा धाश्तए वा रातंच निगान्धीओनी इच्छेज्जा सयासेवामेव नियंडाणं जाव उवहावेत्तए वा संभुचित्तए वा संवसित्तए वा ती इरियं दिसंवा अणुदिसंवा उदोसना वा धारतए वा // 44 // 9.3 // जे लिगाया य निगान्धीओ य संभोड्या सिया जो एहं कप्पइ पारोक्यं पारिएक्कं संभोड्यं वि-संभोग करता, कप्पर हं पच्चक्यं पारिएक्का संभोइयं विसंभोग करेत्तए वाजत्थेवते अन्नमान्न पासेज्जा तत्व एवं वएज्जा अर' अज्जी ! तुमाए साई इमम्मि य 2 कारणाम्म पचवमा परिएक्का संभोग विसंभोगं कमि ३।से य पोडेतप्पज्जा, एवं से जो कप्पर पच्चम्यं पारिएक्कं संभोइयं विसंभोग करेत्तए,से य जो परितप्येज्जा एवं से कप्पर पच्चक्त्वं पाडिएक्कं - भोइयं विसंभोगं करेत्तए 4 सू.४॥ जाओ निग्गन्धीओ जानि. ग्गन्धा या संभोइया सिया शनी मंहं कपाइ निगान्धिं पच्चाक्यं पा. डिएक्कं संभोइयं विसंभोग करेनाए, कप्य३ 9 पारोकप पोर