________________ श्री निशीथ सूत्र उद्देशकः 15] [31] या पत्नायिका मुप्फाणि वा मलाणि वा बीयाणि वा नीहरइ आब साइ. जदम.॥ ओसहि बीयाई ॥सू०४५॥ तसपाणजाय 195 ॥सू०६॥ जे भिक्खू पडिपाहणं णिकरेइ णिलोरावेइ णिकोरियं आहएटुदेव माणं पडिरगाहे पडि गाहत वा साइजद 200 ॥४॥जे भिम्र नायगंवा अनायगं वा उजासगं वा अमुवासगंवा गामंतरंस वा शामपहन्तरसिना पडिगहगं ओभासियर जायजायतं वा साइजा सू०६ // जे भिक्स्यू जाव भणुवासय मा परिसामज्झाओ उडवेता जायर जायते वा साइजइ 213' ।।०.९॥जे भिकालू परिगहगजीमाए उडुबह वराइवमन वा साइजर सम्. 50 // जे भिम्बू पडि गहानीसाए वासावास वसयसत वा साइज्जइ, 211 ते सेवमाणे आवजइ चाउम्मासिय परिहारहाण या इय "051 // चाट्समो उद्देसभो॥१७॥ ॥अथ पचदशोद्देशक:।। . जे भिनव भिकाणे आगाढं वय वर्थत वा साइज।सू०१५ एवं फरुसं स०॥ आगाढमरस // 03 // जे भिक्खू अन्नथरीर अच्चासाथणार अधासाएद अचासायंत वा साइजद"सू.॥ जे भिमर स. चित्तं अम्ब भुइ भुजत वा साइजद // 5 // जे भिमय मचित भम्ब विडसइ डिसतं वा साइन्न।०६॥ जे भिक्खू सवित्त अम्यं वा अम्पपेसि का अम्बभित्तं वा भम्बसालण वा अम्बडाला वा अस्त्रचोयग वा भुइ भुजत वा साइजद // 20 // जे भिकरयू सचित्त जाव मबंचोयश वा विडसह विडसत वा साइजद // 8 // जे भिम्य सचित्तपइट्टिय भम्ब मुंजइ भुजत वा साइजइ.एवं सचित्तपति दिएणवि क्ताई आलाबगाणेथव्वा '25 // 09.12 // जे भिक्व अन्नथिएण वा गारतियएण वा अप्पणो पाए आमजावेजवा पमजावेज वा आमज्जावत पमञावत वा साइजद एवं तइयउद्देसमभो णेयत्वो जाव सीसवाय, जे गामाणुगाम इमाणे अन्न स्थिरणा वा गारथिएण वा अप्यत्रो सीसनारिय कारवई कारवत वा साइजद // 2013-65 // जे भिकर आगन्तारसु वा आव मराशिहंसिवा उच्चारपासवणं परिवेइ परिवंत