________________ [120] ... श्री आगम सुधा सिन्धु नवमो विभाग: देण बिहरियव्वं तु / आलंबणाइ के तु इमाणि काउंग विहरंति // 992 // वसही संधारो भन्न पाण वत्ये पाडेग्गडे सेडा / सइठा य पुबमधुय असद्दहते य पोडबंधो // 993 // मासुथा एसणिज्जा य णिवाया य रितु - म्समा / एरिमा साहुपाउग्गा वसही दुल्लभ एणहिं / दारं // 994 // एमेव य सधारा कंबलदब्भादिवत्थूनिष्फन्ना / सयणासणा य जहियं सुलभा जोगा य माडण दारं // 995 // भन्नं मुलभमणुण्णं च एरे.' सं तिथ अाह नत्य / जगिय - भंगियमादी न हु मुलभा अन्नडिं वस्था // 996 // पडिगडगाव य सुलभा सेहा यण्णय गधि सेताम्म / अण्णय दलभा / नेण तु एत्ध अडगुणं तु ।द।। 997 // सइठा आहारादी दिति य जोगाणि सधुता चेव / पुरपच्छे दिदहभहा य अण्णाहिं - त्यि एरिमगा / दार।। 990 // उडुबद्ध-मासकप्येण विहारो तं ण सहह इ. महि / संजमआतविराहा बच्चंते गाम मणुगाम ॥॥णाणादीण य हाणी जोग खेत मग्गमाणाणं / सेनाओवियत संकमणे धुवमसमाओ॥ . जे णीयन्ते दोसा मासते परिवसेण ते चेव / एनं मामविहारे म. एणतो रडुबिहे दोसे // 10 // णो मद्दति विहार तेण तु म बिहरेति तस्म आणादी / मासोबरिच लहओ णीयावासे य जे दोमा // 1..2 // ते सो पाति सने एतेडालंबणेहिं अच्छतो / किं एगतेणेन ग. विन्मे भण्णती सुणन // 1.3 // णिस्कारणम्म एवं परिबंधो कारणम्मि णिोसोते चेन अजयणाए पूणो विमो पावती दोसे .. काणि पुण कारणाई जेडिं चिडेज्ज एगहाणम्मि / भति पुबुदिदहा जे सेमसिनादिया दारा // 1005 // नेमि चिय पडिलक्सा अक्सेम अमिन तडय दुरिभ / बहुपाणुषसो वा अमणुण्णो जो तु दयमाही // 16 // एतेहि कारणे, एगहाणम्मि अच्छमाणा उ / जर्दि जयण ण कुब्बती नेच्चिय निर्दिया दोमा / 1000 // का पुण जयणा तहियं भण्णनि तेहिं कारणेहिँ उ दिडतरस / - ण्णउवासभिवसादिया तु जयणा मुणेयना // 1004 // अक्लेममादिएन वि अरसेनेसुन कारणवसेणं / चिदहताण तू तहियं इमा तु जयणा मुणेयला // 1009 // अवधेम विसबिर संबट आदि आसयंती 3 / अक्लेमं च अण्णस्य तहि सम तो गणिगाच्छे / दारं // 1.10 // जइस सिवं तु बहिद्धा ताहे अच्छति ते नहिं चेव / दुब्भिको रिणीनिय FFERRRRRRRRRE