________________ श्री पञ्चकल्प भाष्यम् [11] णितं / जत्थूप्पत्ति जिणा चम्झीण रामकण्हाणे // 973 // एतेन्नु विडस्थिव्वं चेत्तेमु साभाविएतु / जत्थ य गुणा इमेत धेमाईया मु. णेयव्वा // 974 // सेमो सिवो मुभिक्सो अप्प्याणो उक्स्सयमणुण्णो / एसो तु खेत्तकप्पो (पासंडसेदमुक्को) गामणगरपट्टणाइण्णो // 9 // सेमो डमविडतो रोगामिविरहितो सियो होति / पउरण्णपाणदेसो होइ सुभित्रयो मुणेयव्यो / दारं // 976 // जलुगा-संमणमा - मूइंगोपन्मुग सत्सगार्दिविडतो जो तुः / सो होति अप्यपाणो अप्य अभावम्मि धेचे य / दारं // 977 // समभूमि -रेणुवज्जिय-रिनुक्समोजस्सया माण्णाओ / गामणगरा. वि य बह पाउग्गा मासकप्परस // 97 // सज्जणजणो य भद्दो हियं च मणुण्णसाइजोणीओ / तारिमए सेतमी ममणुण्ातो विहारो तु / दारं // 979 / / स्वैमो य मिवो य नहा खेमो मुभिक्यो य एव स. जोगा / यच्च धसु पदेनुसत्तमु वा आणुपुब्बीए // 10 // अहवोदयोगसावदतक्कर-वालभर्यानजिओ रम्मो / णिरवेक्योवि वि य जहियं स. मणगुणविद य जत्थ जणो // 9 // एताणि चेव सेमाइयाणि आरीयसेत्तआहे. याणे / पुचभणियाणि जाणि तु ताई सलु मन उ हति // 92 // DI - स्य दमणरस य चरणस्य य जत्य त्थि उवघ्रातो / एसोनु सेत्तकप्पो जहिय च अणायणा त्यि // 983 // उदगमयबुझणादी जह कोकण - सिंधु. तामलिनादी / त्धि जहिं अग्गिभय निग्गियाइम्मियोगही वा // 985 / / जहिय च मानयभयं सीडादीण ण विज्जए देसे / जहियं च त्यि चोरा पंधमोमादी // ry वाला उसप्य गोणममादीदार बोर्डि. गाँभय च त्धि जाहें / मणमो समाहिकावे मो नम्मो होति जायचो // 646 // सूरो अण्णगम्मो जन्य परिंदो तष्ठिं -मुहविहारं / साहगुणे यह याति कुणोते य साहा जो रकम दार // 997 // अहिरण्णमुवण्णेते छज्जी वणिकायमजमे गिरता / जाति जणो य एवं जत्य तु साहण गुणणिहम / दार // 6 // सज्झाओ जहि सुमति दारं। कुर्दिदागिण्णो या वि जो मेलि एस. इन्धी सोही य ज तहियं शिवासोतुादार // 9 // जहितं च अायता न मंति के पुण अणातया भणिया / साहम्मिभिन्नचित्ताम जुन्नरदोभाडमेवी // 990 // एतेहिं जो देसो आइन्जो तह य अन्नतिधीहि / म ' त्याराना लिंदेसा अगायतणा 1991 // एतारिमम्नि वेत्ते अडिब. '