________________ श्री निशीथ सूत्र : उद्देशकः 81 [19] - सहि बिहारं वा करेइ सम्झायं वा करेइ असगंवा 5 आहारे चारं वा पासनणं वा परिहवेद अन्नयर वा अगारियं निरं (पिढयं) अस्समण पाभो. गगं कह कहेइ कहतं वा साइजर 'स्.९॥ जे भिम् राओ वा बियालेवा इत्थीमज्यगए इत्थीसंसत्ते इत्यीपरिवुडे अपरिमाया। कह कहेइ कहतं वा साइजह ॥स्.१०॥ जे सगणिचियाए वा परगणिधिया वा निग्गन्धीए सर्टिगामाणुगाम दूरञ्जमाण पुरभी छमाणे पिओ रीयमापे ओहयमणसंकय्ये चितासोथसागरसंपविढे करनलपल्हत्यमुहे अहज्झायोवगए विहारं करे जाव करने वा साइजहार-११॥ जे मिरवधायगं वा अनायगं वा उवासयं वा अणुवासयं वा अन्ती उपस्सयरस भई का राईकसिणं बाराई संवसाने संवसावंतं वा साइजर॥सू-१२॥जे भिक्खू नाथगं बाजाव संवसारतं तेन पडियाइक्वइ नपडियाइक्वंतं वासाइज्जास्.१३॥ जो नं पडुध निकलमवा परिसइवा निक्खमंत वा पर्विसंतं वा साइजह सू०१४॥जे मिक्सू रन्नो वत्तियाणं मरियाणं मुद्धामसित्ताणं समवायसुवा पिण्डमहसु वा असणं वा 4 पडिगाहेद पहिगाहेंतं वा साइजह ॥१५॥जे भिक्यू रन्नो वित्तियाणं मुटियाण मुदाभिसित्ताणं उत्तरसासि वा उत्तर हिंसिवा रीयमाणाणं समवासु वाभाव साइज।०६॥ जे भिम्स रन्नो जाव मडाभिसिसाणं हथसालगवाण वागयसालगयाण वा मतसालगयाण वा गुज्झसालणयाण वा रहस्ससालगयाण वा मेहण सालगथाण वा समासु जाव साइज सू०१७॥ जे भिम्सनिहिसंनिययाभो खीरं वा दहिया नवणीयं वा सप्यिं वा गुलंना रचण्ड वारक या मण्डिय वा अन्नयरं वा भोयणजायं पडिगाहेर पडियाहंतं वा माइज्जइ॥९०१॥ जे भिक्यू० उस्सरपिंडं वा संसपिण्डवा अनाहपिण्डं मा किबिणपिण्डं वा मणीमगपिण्डंबा पडिगाहेर जाम साइजद १५५"तंसेवमाणे आबस्जद चाम्मासिय परिहारहागं अणु घाइयं // 19 // भामो सोता ॥अथ नवमोद्देशकः॥ मे भिक्खू रायपिण्डं गेण्हण्हतंवा साइजहाजे भिक्यू रामपिण्डं मुंजय मुंजत' मा साइसर 6 // 2 // जे भिकर रायन्तपुरंप