________________ * 49. 22 * ** // अहम् // श्रुतके वलि श्री भद्रबाहु स्वामि-प्रणीतं श्रीबृहत्कल्पसूत्रम् // अथ प्रथमोद्देशकः। .. पीडिकाभाष्यगाथाः 08' जो कम्पा निग्गन्माण चा , निग्गन्धीण वा आमे तालपलम्बे अभिन्ने पडिग्गाहेत्तए |स.१॥ / कप्पइ निग्गन्धाण वा जिग्गन्धीण वा आमे तालपलम्बे भिन्ने पडिग्गाहेत्तए १०३६।।सू.२॥ कप्पइ निग्गन्धाणं पझे ताल पलम्बे भिन्ने वा अभिन्ने वा पडिग्गाहेत्तए ।सू. 3 // जो कप्पइ निगान्धीण पक्के तालपलम्बे अभिन्ने परिग्गाहे त्तए ।सू. 4 // कप्पडू निग्गन्धीण पक्के तालपलम्बे भिन्ने परिग्गाहेत्तए, सेऽवि य चिडि भिन्ने जो येवणं अविहि भिन्ने (पलम्बपगरण १०८e')॥सू. 5 // से गामंसि वा नगर्शने / वा खेडेमि चा कब्बडंमि वा पट्टणीस वा मरम्बसि वा जागरमि वा दोणमुहंसिवा निगमंसि वा रायडाणिमि वा आसममि चा सनिवेससि वा संचाहंसि वा घोसंसिवा अंसियंसिवा पुडभेयणसि चा सपरिक्वेचंसि अबाहिरियंसि कप्पइ निग्गन्याण , हेमन्त गिम्हास एणं मास चन्थए / / 6 // से गामंसि जान रायहाणिसि चा सपरिकमि सबाहिरियसि कम्पइ निगा न्या. हेमन्तगिम्हासु दो मासे उत्पए, अन्तो एरः मास बार गं; मासं, अन्तो चसमाणाणं अन्तो भिचारयः ब्रादि सनाणाणं बाहिं भिक्खायरिया ॥सू.॥ से गाम सि या जाच नायाण सि चा सपरिक्षेचंसि अबाहिरियसि कप्पर निगान्धी मन्तगिम्हासु दो मासे वन्यए।सू.॥ से गामंसि वा जाव रायहाणिसि FREEEEEEEEEEEER