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________________ 護護楚楚楚楚楚楚楚楚楚楚楚, / [2067 श्री आगम मुथा सिन्धु 1 नवनो विभागः शिवधाते य 139सटमर जडिं अडवा सरितमसिगंवा चि / एतेसि दोण्हं तु नाघाते गहण भोगे य॥२५३०॥ गिबाघाए धण्ह वि अच्चित्तागं तु गहणकायागं गहियस्स य परिभोगो तस्सेन य होनि कायचो // 2539 // परिभोगे वाघातो गहिते पच्छा तु होज्ज त णानं / जह आहाकम्म ती / ताहे य तयं ण परिभुजे // 25 // वाघाते सेवतो अविच्चमेयं तु चितए साह / होति तहा / णिज्जरओ जो पुण दणमो समायति / / 2541 // पूजारमाडेबद्धो भोमण्णा च आणुयनीय / चरणकरणं णिग्रहति तं जाऽणुयत्तियं समण // 4 // पूजारमहउँ वा बेनी जह किच्चमेव पयंतु / मा मे ण देहिति पुणो जह एमोऽकिच्चकारीत // 25 // भहना मो. मण्णाणं तु भयुयत्तीय बेति को दोसो / आहाकम्मादीमुंगवर मा . | कीरउ मयं // 2544 // सो ग्रहति चरणादी एवं उच्छं सु तस्म / सामण्णं / तम्हा तु पन्जा सुद्धं मागं तु कि चsurg / // णिस्माणपदं पीडति अणिस्म विहरंतयं गरोएति / जं जाण मंदधम्म इहलोगगवेमगं मम // 2546 // अहवा उम्मग्गो सलु गिस्साणं तंतु पीहए जोन। तस्स तु छदमताथ णकहै दोसा इमे नहियं // 25 // पंचमहवनभेदो धक्कायो य तेणगुण्णाओ। सुहसील नियत्ताणं कहे जो पवयणी रहस्सं // 25 // पडिमेवकप एसो अटुणा वोच्छ अणुवासणाकप्पं / अगुवास मामकय्यो वामानामो इमेलि"तु // 2541 // जिण-धेर-अहालंदे परिहरिने अज्न मासकप्यो उ / खेत्ते कालमुनस्मयपिंडगाहणे यणाणतं // 255. / एएसि पंचण्ड वि अण्णोण्णस्य उ चतुपदेटिं तु / खेत्तादीहि विसेसो जह तह वोच्छ समामेणं // 2551 // गस्थि उसे जिणकप्पियाण उडुबद्ध मासकालो तु / वासामुं चउमासा वसही अममत्त अपरिकम्मा // 2552 // पिंडो तुअलेनकडो गहणंद एमणाहरिमाहि / तत्य निकाउमनियाङ पंचण्ड अण्णतरिटाए // 2553 // घेराग अस्थि मेतं तु 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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