________________ श्री यभ्य कल्प भाष्यम् [25] 21.8 // सेज्जवहिज्झाय आहार पसिद्धा एते होति चन्नानि / साहारणकप्यो पुण मूलगुणा उत्तरगुणा य ins माहारण ति किं पुण सेज्जादुप्पादगाण मवेनिं / सामन्जगुणा ते ऊ त. म्हा साहारणं जाण // 210 // आदिपणगं तु तुल्लं ति जाण मेजाति जान-माहा। डेयाच्या दोण्ह नि एते मनु होति तुल्ला तु // 2191 / अहवादिपणग मूलगुण पंचेते होंति दोयह तुल्ला तु / समगा. समीण व तम्हा साहारण जाणे // 4 // भइयमणुसासणं ती अणुकंपणुमासात एगदडा / कोइ कदाइ ओणउणो ण तति अणुसामा काउं॥ 193 // सुहभारियनणेणं होति विसद्धो य अंतरप्पा से / तस्य वि डोंति क्ताई पंच नि साहा. रणाइतु // 2114 // आणा तिघगराणं सामण्णा संजताण सब्वेसिं / मुड़मे वि तप्पगए अणुसात्मणय कुर्णात जो तु // 21 // नेण अणुकंपिता णिच्छएण जम्हाऽणुसदिडतो होति / तसऽणुसह. ऽणुकंपा एगटहा होति गायव्वा // 2196 // माहारकप्प एसो अ. ड्रणा वोच्छामि णिचिसणकप्प / जह णिविसति समया सम्म तु गुरूवएसेण // 2117 // गाण च दसणं वा नहा चरितं चम. मितिगुत्तीओ / एक्कासीतिपदेहि णिविस गिब्वेसणाकय्यो // 2198 / छचिह कप्पादीया बायालंता उ पंचनी एते / मेलीणा उ भवंती एस्कासतिं भवे भेदा // 21995 ण बिहकप्पे नीसाइकप्पे य णामडवणाओ / मोत्तुं समा सव्ने एक्कासीति नु मेलया / 2200 // पते सच्चे संमं मिनिममाणस मिचिसणकय्यो / ६तेसि पुण कतरो महठितो होनि मलेसि // 2201 // मने विच रक्सिोहिकारमा तह नि अस्थि हलिसेको / महहणाऽऽचरणा भ. इतं पुण यालगाए तु // 2202 // महणाकय्यो या आयरणा येरे दो पहाणतरा / अहवा सहहणा च्चिय महडितुं जो ण आयति / / 2203 // भइयमणुपालण ति य सहडिऊण पिण तरती कोई / अणुपालतु अज्जा लम्हा सलु सो य पचाने // २२०४॥ण 中獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎