________________ ARRRRRRRRRRY // अर्डम् // [] ' समाश्रमण श्री संघरामगणि विरचितं श्री पञ्चकल्पभाष्यम् (श्रीबृहत्कल्पीयनामनिक्षेपान्तर्गतम्) वदामि भद्दबाह पाईणं चरिमसगलसुयजाणी। सुत्तस्य (स) काममिसिं दमाण कंप्ये यक्वहारे // 1 // कप्यं ति णामणिप्पाण्णं महत्थं वनुकामतो। णिज्जूहगस्म भन्नीय मंगलहाए य संधुतिं // 2 // नित्थगरणमोक्कारी सत्यरस आइए समक्याओ। इह पुण जेणऽझया णिज्जूठं तपस कीति तु // 3 // सत्थाणि मंगलपुरस्सनाणि सुहसत्रणग्रहणधरणाणि / जम्हा भवति जति य सिस्सन्निस्सेहेिं पचयं (बाई) च // 4 // भत्ती य सस्थकर तं कय(तत्तो)उवभोगशोरवं सत्य। एएण कारणेणं कीरइ आदी णमोकारो // 5 // वद अभिवाद-धुतीए सुभन्सद्दी रोगहा तु परिगीतो।वंदणपूयणणमणं धुणणं सक्कारमेगा / / 6 / / भई ति सुदर्शत य नुल्लन्थो जस्स सुंदरा बाडू / सो होति भयाहू गोणं जेणं तु बालते // 7 // पाएणं(ण) लवियज्जा पैन्सलभावो तु बाहजुयलम्स। उववण्णमती णामं तस्सेय भद्दबाहुत्ति // 8 // अण्णे वि भद्दबाहु विसे. सणं गोण्णा(स) गहणपाईणं / भण्णेमिं पिय सिद्ध विसेसणं रिमसगलमतं॥९॥ीरमी अपच्छिमो यत्नु चोहम्मपुच्चा उ होति सगलमुत। सेमा वुदासदहा सुतकरज्झयणमेथस्स // 10 // किं ते कयं सुत्त ? जं भात तस्स कारतो सो उ / भण्णोते गणधारी, सच्चसयं चेव पुवकतं // 16 // तत्तो च्चिय णिज्जूट अणुगहढाए संपयजताणी तो मुत्तकारओ पल्ल स भवति दसकप्पववहारे॥१२॥ वंदे त भगवंतं बहुभह सुभह सबभो. भदं / पवयणहियसुयकेउ सुयणाणपभावग धीरं // 13 // वाद-सो पुच. FFFFFFFFFFFERE