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________________ [252] श्री आगम सुधा लि-धु वमो विभागः चित्तसमाहिदाणाई असमुध्याणपुवाई समुपन्मिज्जा, तनहा-धम. चिंता से असमुध्यन्नपुब्वा समुप्पोजासर धम्म जाणेत्तए / सुमिणदसणे वासे असमुध्यण्णवे समुप्यनेजा आहातचं सुमिण पासित्तए / जाइसरणे वा सणिणाणे वा से असमुध्यन्नब्वे समुप्पजेजा अहं सरामि अयणो पीराणियं जाई समरित्तए। देवदसणे वासे असमुप्पण्णपुचे समुप्पजेजा दिय देविहिद दिवं देवमुई हित्वं देवाणुभावं पासित्ता ओहिनाणे वासे असमुध्यण्णपुर्व समुय्यजेजा ओहिणा लोयं जाणितए / ओहिसणेवासे असमुय्याण्णवे समुप्पज्जा ओहिणा लोथ पासिनए 6 मण.. ज्जवनाणे वा से असम्ध्यण्णपुब्वे पभुय्यज्जेज्जा अंतो मणुस्सा तेसू अइदाइज्जेस्ट्रोक्समहेस् सन्नीण पचिदिया पजनगाण.. मगीगए भावे जाणेत्तए) कैवलनाणे वा से असमुप्यान्वे समु- . प्यज्जेज्जा केवल कम लोयालीयं जाणेनए केवलदसोवा से अ. समध्यण्णवे समुप्पज्जे-जा केवलकप्प लीथालोथं पासित्तए / के. बलमरणे वासे असमुप्पण्णपुले समुप्याजे-जा सकस प्यता १०॥सू०१७॥ ओथं चित्त समादाय, झा समापासति / धम्मे ठिो भविमणी निबाणभिगति ण इमं चित समादाय भुजी लोयसिंजापति / अध्ययो उनम गण सपणीयाणेण जागति // 2 // महातचन सुविन खिय्यं पासति सबु / सक्षवा ओटं तरति दुम्बादाय) / विमु चति // 3 // पताईभयमाणस्स विचितं सारणासण। अप्याहारस्स तस्स देवा सेति ताइयो // 4 // सबकामावरजस्म खमतो भयभेरवं। नी से ओही भवति सजयस्म लगन्सपो // 5 // तक्सा. डरहलेसम्स दस परिसुन्झति / इट आहे य निरियं च / सव्वं समयस्मनि // 6 // तुसमाडलेस्सरस अविनइस्स भिक्सुणो। सबओ विप्पमुकुस्स आया जागांत पज्जवे // 7 // जया से नाणाभरणं सब्वं होति खयं गयं / तया लोगमलोगं च जियो जाति केवली // // जया से सणावर सव्य होति स्वयं गये / तभी लोग
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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