________________ S श्री प-य कल्य माध्यम [877. तेणेव तुं कम्मेण जीवात गणेण तस्करी स सलु / सत्ताई जो वणती खाणगतेणो भने स पत्नु // 412 // सो पुण तणो चउहा दो वितै य काल भाचे या एतेसिं चउण्हें पी पूस्तेय परूचण वोच्छ // 43 // सच्चित्ते अच्चित्ते मीसे वि य होति टक नेणो हु / सांच्चत्ते दुपयादी दुपटे दासाइयं होति / / 414 // गोमादी य चउप्पय अपद पलधण्णमादिय होति / अच्चित हिर. ण्णादी दुपदि सभड मीसम्मि // 415 // एमादि दबतेको साडम्मिय अण्णर्धाम्मर्यागहीणं / लेणितो सो तिविहो उक्कीसो मज्झिम जहण्णो // 416 / / हयगतमाणिक्कादि य तेणितो तैणिती उ उस्कोसी / स्वतघणकण्हणिय गोणी तेणी तु मज्झिमेओ // 17 // गही-भेद्ग पहियजणदव्वहारी जहण्ण तेणो तु / एक्केचकरस य एतो पहिच्छग पडिच्छगो चेव ॥४ासगदेस पविदेस अतरतेणे य होति स्विम्मि दारं। राइंदिया वि काले भावम्मि य णाणतेणादी // 419 // गोविंदज्जो णाणे दंसण सूत्तड डेनसटहा वा / पारंचिग उवचरणा उदाइनहगादो चरणे // 420 // दनादि तेण एसो पचावेतुं ग कप्पए सव्यो / समणाण व समणीण व पाविते इमे दोसा // 421 // बंधण रोहण तालण दासत्तं मारणं च पाविज्जा। पिच्चिसयं च रंदो करेज्ज संघंपि सौ रुहो / 422 / / अजसो य अकित्ती या तं मूलागं तोह पवयणस / हात गिहीण एवं सब्चे एयारिसा मण्णे // 423 // सग्गाम. परग्गामे मदेस परदेस अंती बाहिं वा / दिदटमदिरहक्कोसा मझिम जहणे इमा सोही // 424 // मूलं छेदी छग्गुरु धल्लह चतरि लहुग गुरुगा य / गुरुग लहुगो य मान्सो एएसिं चारणा तु इमा॥२५॥ सणामतो टिटले उस्कोसे मल छटो आइट।बाहेिं दिहें छेदो अहिदहे होति गुरुगा // 426 // पशामंती दिदडे उक्कोसे छटो छग्गुरुर्मादेहे / बाहिं दिट्टे धग्गुल अदिद? होति छल्लहुगा // 42 // महे संती दिटो छागुरु दिद? होति धल्लडुगा / बर्डि दिट्टै छल्लहुगा अहिहै होति गुरुगा // 42 // परदेसतो दिडे छल्लडुगा अदिहि होति चउगुरुगा / बडे दिटो चउ