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________________ श्री निशीथ सूत्रं उद्देशक 24] [29] ॥स.२१॥ लमखणं // 5 // सुमिण .24 जे भिक्खू विचंपांजपउजंतं वा साइच 50024aa एवं मन्तं सू०२२॥ जोगासन। जे.नहाण मुटाणं विपरियासिथाणं मगर पवेएर संधिवा पनेए मग्णवा संधि पवेण्ड संधीभो वा मगं पण्ड पवेएतं वा साइबर स. 20 // जे भिकर धाउं पवेएइ पवेएतं का साइजद ॥सु०॥ निहि 2' // 2029 // जे भिक्खू मत्तर अय्या(लणं देहर देह वा साइच।मु० 10 // नहाए सू०३१॥ एवं असीए (अध्याणे ) // 032 // मणि // 33 // रइड(डा) पाणे म्०३४॥ तेल्ले / / 035 // फा (पा णिय // 2036 // वसाय 73' / / 037 // जे भित्रयू वमणं पडिकम्मं करे करतं वा साइअइ "सू०३८॥ विश्यगंवमणविरयणं, अरोगियं ' म०३९.४१॥ जे. पासत्थ वंदर वदंत वा साइज्जइ, पसंसह पर्ससंतं वा साइजद॥सू० 12.3 // एवं भोसन्नं ।मु०६६.६५॥ कुसील, नितिय, संसते. काहिथं पासणियं मामगं, संपन्सारण 119 // 2016-29 // जे भिक्ख धाइपिंडं भुजइ भुजत वा साइज॥सू०६०॥ एवं इपिण्ड, निमित्तपिठं आजीविपिण 9 वणीमापिण्ड, तिमिछापिण्ड, कोहपिण्ड,माणपिण्डं,मायापिण्डं लोपिण्ड विज्ञापिण्डं, मन्तपिण्ड ओण पिण्ड चुण्णपिठ सू०६१-५३॥ भंतदाणपिए 216 त सेवमाणे आवाज चाउम्मासिय परिहारहाणं घा. ३थ "सू०१४॥ तेरसमो उद्देनओ // 13 // ॥अथ चतुर्दशोद्देशकः॥ जे भिवस्य पहिाहं किण किमानेर कीय आरटु देजमाण पडिगगाहेई पडिगाहंत वा साइजः // 20 // जे भिक्खू परिह पामिछड़े पामियावह पामिच्चियं आहह देवमाया जार साइजसू०२० परिभई परियडावे परियट्टियं // 3 // अछेज अनिसिह भभिहडं // 54 // 01 // जे भिकयू भइरेग पडिगगहा गणि उद्दिसिय गणि समुदिमिथ तं गणि अणापुरिछय अणामन्तिय अन्भमन्नस्स वियरइ वियरंतं वा साइजशा सु०॥ जे भिक्खू खुड्डगरसवा खुड्डियाए वा धेरगरस वा धेरियाए या अत्याधिनस्स अपायधिनस्स अनासस्टिम्स अकण्णधि
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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