________________ श्रीपकल्प भाग [101] य किच्छम्याप य डोडेति // 65 // अहगं गिोरणीतंबे सव्वातुय अबग करेड मेो। अंबाउलंभे रिसावे)ज्जसिटे अंबे देह जदि ग. भं / / 657 / / अभवमते सत्सकले बे देज्जासि बालभावे य / माउणं चलणे सुपाडेज्जाही णिच्छपि / / 658 // कि बड़णा तह कु. ज्जा जड साइनो दटो होमि / संबोडिकारो स्यलु लति अजतेण बोहिं तु // 59 // मूगेण अब्भुवगले देवे मिऊण सालयं पत्नो। चाऊण य उववन्नो कुच्छीए मूगमाऊए / / 660 // अंबगडोहलजातेभविणिजंतरिम देउडा / भद्दण्ण परिजणाणं मूगो लिहतम्परा - णिणमो // 661 // जोदे देड मेय गभं मझं तो अंबगाणि आरोमि / देमुत्ति अभुवगते सत्सकसमाणेति अंबाई // 2 // तो पुण्णडोह - लाए जातो दिण्णो य नाहे से नस्य / उत्ताणसायगंन जतिणो पादेसु पाडेति / / 663 // निविस्मरं परोती जाडेवि य पारिओ उ पादेसु / सुडचलणेसु जतीण मगेणुलो तु णेच्छी या // 6 // घेनुं गीवाए नओ गेण परिभो वे बहुमो / परितंतु ततो ममो णिक्यतो गतो य दियालोयं // 65 // ओडीए दहणं सुविणादिमु बोहिओ जति ण बज्झे / नाहे करेति रोगी देवोवि उ वेज्जरवेणं 6 जदि वति सत्यकोसंभमति मए यानि जार्द सम एसो। तोणीरोग करेमी पोडवण्णो कतो य गीरोगो // 66 // घेत्तुण तं ययाओ गुरुग से मत्थकोसगंदावे। तवज्जभारगुरुगं बेनी नाम वोट जे // 66 // दंसेति साधुसवं बेति जति णिक्यमाहि तो नेट / मुंचामि विमुचमि य रोगा पौडेवण्ण तो मुक्को / / 669 // णिक्यते तो तम्मी देवोचि ततो तुसालयं पत्तो / कालेणुप्पवइत सघरं संचदिहतो अह सो // 670 // देवेण पलायंतो दिडो विगुलब्धिऊण तो अडवि / काऊं मगुस्सव अह अडविं पदिहतो लत्तो // 6 // लवति ततो टुब्बोही कि इच्छसि अप्यग विणातुं / जंजामि अडविडतं देवोऽवि ततोऽणु पच्चाह / / 672 // तं पुण विजाणमाजो पारगादीवयसंकिलेस तु / कि णिग्गंतुं तत्तो पुणरोव दु. साविमतीति / / 613 // अगणितो तं वयणं सघरं मह आगतो ततो सोन् / शेगा, साहरण भूओ विजागमो दिक्या IFr