________________ श्री प्रकल्प भाष्यम् 11 कम्माणं असुहफलविवागेणं / तो उवहम्मति वेदो जीवाणं पावकम्माण / / 306 / / जह हेमकुमारी ऊ इंदमहे बालियोणमित्तेणं / मुच्छि. य गिद्धो अति सेवणेण वेदोवघातमती // 307 // एयस्स वि भास इमा जह एगो रायपुत्तो वण्णेणं / वियवरहेमसरिसो ती से णाम कतं हेमो // 30 // सो अण्णदा कदाई इंदमहे इंदडाणपत्तामो / णगरस्स बालियाओ पुप्फादीहत्ध दणं // 309 // पुच्छाते सेवगोरसे कि एया आगताउ इह इंति / / ते बिती सोहग्गं म. गते ता वरथाओ / / 310 // तो बेई, एयासिं इंदण वरौ हु दिण्णा भहमेवा घेन्तुणता लेणं छा अंतउरे सव्वा // 31 // तो णाग. रगा रण्णो उदिडता मोयनेह एताओ। तो बेति मज्झ पुत्तो कि सामाता ण कच्चात भे // 32 // तो तास अतिप्पसत्तस्स तस्स जिर्णालयसब्जबीचस्म / वेदोनधातो जातो सागारीयं ण उ8ोत 1.313 // तो ताहि रुसियाहि सो अदागहें धातितो ताहे / वेदोवघातपंडो एसोऽभिो तो समासेणं // 317|| उवहन उवगरणम्मी सेज्जातरभोणयाोणोमत्तेणं। तो कोवलगरस वेदो तो जाती दुराडेयासी // 315 // उवहय उवगरणम्मी एवं होज्जा पुंसवेदी ऊँ। दोसा सवेदुर्दिण्णं धारेतु ण चयइ णार्यामणं // 316 / / जह पदमपाउसम्मी गोणो धातो तु हरियगतणस्स / अणुस्स(म)जति कोदिबिडिच्चं) चावण्ण दुमिगधीयं // 31 // एवं तु केइ पुरिसा भोचूर्ण भोयण पोतोसह। तावण भवोत तुहा जाव ण पोडेसेविओ वेदो / / 319 // लक्षणासयउवघायपंडगतिविहमेव जो दि. कये / पच्छित तिमुवि मूलं दोसा तहियं इमे होति // 219 / / तन्मजादीहं सह गओ चरितसं भेदणी करे चिकहा / इन्धिकहा क. डित्ता तो सि यावण्ण पगासैइ // 320 // समलं निलगंधि स्वेद यज ताग आसए डोति / सागारियं णिरि कइ मलेन्तु हत्थेहि जिग्धा च // 321 // पुच्छति सेवियपुब्यो णपुसगो वित्ति अतिसुह एव / भासयोल य तहा दुविहीन सेवी अहं चैव // 322 / / एवं पुच्छिन्तु तओ अहवावि अपुच्छिऊण सह सेचे / गेण्हेज्जा ही समण तेण कहे यवतो गुरूणं // 323 // छंदिय कोहेय गुरूणं जो HPPERFERESEFFE