________________ 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎 " श्री प य कल्प माध्यम [15] / / 1536 // मेडावीसीसम्मी मोहमिय कालराजधेराण / ममंतिए मह सो संसतेणं इमं भणितो // 1530 // अतिबहतं तेऽधीतं गये / णातो तारिनो मुहत्तो उ / जत्थ थिरो होति सेहो णिवमतो अहो ! बोदत्तं ।।१५३४।।तो एवं सऊमच्छ भणितो अह गंतु सो पतिदहाणी आजीविसकासंमी सिमति चाहे णिमित्तत्थं // 1539 / मह तम्मि अ.. डीयम्मी नडडेदह गिनेह करणया(कया) ति / साताहणो णरिंदो पुच्छामा तिण्णिा पुच्छाओ // 1540 / / पसुलेंडि पटमताए वितिय ममहे नंकेतियं उदयं / ततियाए पुच्छाए महना य पडेज्जन त्ति 1 // 15 // 2 // पठमाए वामकडगंदेशि नाई मतसहस्समुल्तं तु / त्रिलियाए कंडलेत तोतयाए नि कुंडलं वितियं // 25 // आजीविया उनादर त गुरुदक्मिण्यं न एत अम्हति / तेहिं तय गहितं इयरोचित कालकजंतु॥१५४३ णम्म तु सुत्नम्मी अत्यम्मि अणदरे ताडे सो कति / लोगणजोगच तहा पदमाजोगं च दोऽवेते // 15 // बहडा णिमिन नडियं पढमणओगे यहोति चरियाई। जिणचक्किदसाराण पुब्बभवाई गिबदाई / / 1545 // तो काऊणं तो सो पाडलिपुत्ते उदिहलो संघ / बेरि कतं मे किंची अगुग्गडढाए तं सुणम् // 1556 // तो संघेण जिसंतं सोतूण य से पीडच्छितं तंतु / तो तं पदेहतं तु माम्मी कुसुमणार्माम्म // 1547 // एमादीण करणं गहणं णिज्जूहणा पकप्यो तु / / संगहीण य करणं अय्याहाराण तुपकप्पो // 54 // संभोगो सं. . गड़वग्गहडता यच्छल्लपीति बड़माणो / साहारणकूलगणसंघहरण अतिक्कमणमेव // 1579 // मुत्तथतदुभयादीडिं मंगहो जग्गडो य* तादी। वच्छल्ल गुलगिलाणे एनमादीसु जहकमसो // 1510 // एगस्थ भोयणेणं पीती भवतिक्कभाण जिमित त्ति / बहमाणं पिय कति सहायगत्तं च तेणेव // 1551 // केई अलद्धिमता ण ल. भंति सलद्धिया चिय लभंति / जलद्धसामण्णं संभोगमितो उ इच्छति // 1552 // कलगणसंघत्रा मज्जाथाओ हति हिंडता / जह सकुले परिताणो णधी उक्संपया चेव // 1553 // कलगणसंघहरणा आओ यक. ताओ नहिं तु थेरेहिं / कुनबहमन्जाला विन तामओ य गतिकमिज्ज ति / ' 1554 // कज्जेसु सिंगभूत कज्जन सिंगाइयं होने / तं पति