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________________ [761 श्री आगम सुधा सिन्धु समो विभागः इगुतीसो // 218 / मुलणवर्ल्ड च तो पारोचियमेव होति एक्के - की सिक्यासिकस्यपगारा उक्कोये होति बालेते // 219 / / अहवा सी चैन गमो दिहिँ सिक्सितरन्जिए होति / मामाद तब छेदा मूलाईथा दिक्केवळ // 220 // एमेव मन्झिसे वी णवरं दिवमोतु वीस दीसं तु / एमेव जहणे वी उगुवीमु गुवीस दिवस. तु.॥२२१॥ अहवा मझें मीसा जहण्ण छेदादी. अन्जपोरवाडी। तब छैटेगरिया मज्झै जहणे तु भयणाए / / 222 // झिोम वीसंलइओ सिक्ससिक्सस्स मासिओ छदौ / वीसण्णदो लडुओ मि. कसमोसरवणे गरुगो // 223 तवो (गकगो जो अइटोक्कांती एवंतबछेदगंतरा नु णेयवा। जा छम्मासा ता चतु परओं मूलादि एक्केकं // 224aa अउणाधीस जाहण्णे सिम्मानितस्स मासिओ छेदो। सो च्चिय सिक्ने गुरुओं जा धग्गुरु तिगि परओं तु // 225 // अहवा ण होइ छटी हाणे च्चिय मूल तंड य अणब8ो / पारंचिए' य तत्तो एवं भयणा जहण्णस्य // 226 // अहवा पढमे छेदो दिवसे चैव हवइ मूलं वा। एमैव होति बीए नइए पुण होति मुलं तु // 22 // किं कारण सोधेसा दोसा तडियं इमे समक्लाता। 4व्चाविएसु तेसं. उड्डाहाई मुणेथव्वा // 22 // बंभस्स वयस्स फलं अयगोल चैव होति छक्काया। णिसि भत्तमंतराए चारग अजन्सी य पोडबंधी // 229 // लोगो बेती पेच्छड इणमो बंभवईण तु फलंतु / अथगोलो विव तत्तो डडती सो जित्तिए मुक्को // 230 // भत्त सि मगामाणे दिते तू राइभत्तभंगो तु / डनई अदिताम्म तु अंतराइयं बेइ लोगो य / / 231 // चारगपालाई इमे जे बालाई तु एव कंभंति / लोगे जाति अजसो अहह इम णिरणुकंपत्ति // 232 // तेण य पाठबंधणं पाबद्धा व कहिँचि विहरति / जे दोसा णीयवासे ते पावते य अच्छंता // 233 // ऊणदहे त्धि चरणं पचार्वितो वि भस्सई चरणा / मूलावहिणी खलु णारभते वाणिओ चेट्टुं // 234 // उग्धायमणुग्धार्थ णाऊणं चिडं तबोकम्म। एमेव छदछविड जिण चोहसपूचिए दवया // 235 // उम्घायमणुग्घातो मासो बउ छच्च 獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎獎
SR No.004370
Book TitleAgam Sudha Sindhu Part 09
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendravijay Gani
PublisherHarshpushpamrut Jain Granthmala
Publication Year
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nishith, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, agam_dashashrutaskandh, agam_jitkalpa, & agam_panchakalpa_bhashya
File Size7 MB
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