________________ श्री य य कल्प भाष्यम् [930 लभतग उबन्ने / भयओ चचि हो स्खलु ण कप्यते नारसे दिक्या / / 514 // दिवसभयओ उ छिप्पड छिण्णेण धणेण दिवस देवसिय / जन्ता नु होति गमणं उभयं वा एत्तियधणेण // 515 // कव्वाल उइडमादी हत्यामनं कम्ममेत्तियधणेणं / पच्चिरकालो धने काय एनयधणेणं // 56 // कतजत्तहियमोल्लं दिक्वेज्ज क्या य होति पडि. मेहो। पन्चाविने गुरुगा गहिए उड्डाहमादीणि // 517 // छिण्णमाछण्णे य धणे वावारे काल इस्सरे चेव / सुन्तत्थजाण एण अप्याबहुयं तु णाय व // 51 // वावारे काल धणे छियाधिण्णे य होंति भंगहा / मा. हियगहिने अकते मोन्तुं सेसेसु दिकति / / 59 // गहिए व अहिएम छिण्णधणे साधिते ण दिक्यति / छिण्णधणे कति गहिते वा अ. गहिते वानि / / 520 // जत्थ पुण होति छिण्ण पोवो कालो य होति क. म्मरस / तन्ध अणिस्सर दिक्या इस्सरी बंधपि कारेज्जा / / 521 // : घेत्तुं समयसमत्यो रायकुले अत्यहाणि कटते / फेल्लस्स नेण कपोते रोटे रसपीरिए भयणा दारं // 522 // सेडस्सा णिप्फेटिय जो सेह घेत्तु आसियाइति / सो पुण व नेण केरिसो कप्पती आसियाडेतुं // 523 // अप्पडपण्णो बालो सोलसवरिसूणो अहब भ. गिोवदहो / अम्मापितु अविदिण्णो ण कप्पती तत्वावरुणस्य // 524 // तोतयवतीयारो णिफेडण तेणसह भणिज्जो / तेणे य नेणनेणे पाडेच्छगोडच्छो चउहा // 525 // ततियवनस्साइ यारो लिक्यावितस्स मेहार्वादण्ण / भयणा तेणगसद्दे होनी इ. णमो समासेणं // 526 // जो सो अप्पडप्पण्णो विरडवारसूण अ डव अंगिविहो / त दिविसंत भाटिण्णं तेणो परतो अनेणोतु / / 527 // अहवा मुडिन सामहे भइयो होलि लेणसहो तु / एक्के. म्कस्म य इन्नो चलभगो हो इमो कमसो // 52 // मुडपभुपेल्लएया चरभंगो पठमतिय अण्णाय तेरमाणो अतेणो सेसेस तु लेण, ओ होति // 526 // एव पभुमिहपिल्ल.। चउभंगो गूण एत्य व तहत / एते कारण नेणगसहो नहिं भोजतो दारं // 530 // अह. वणे चउभंगा सरियोग एक्को नणि इति एम्को / असिहम्मि होति ब्रिति भो तेणा चत्तारि नन्थ इमे // 531 // जो तंतुमय ती सो तेणो F RESSESS