Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
३, ६.] ओघेण पंचणाणावरणीयादीण पच्चयपरूवणा
[२३ अपुव्वकरणपइट्ठउवसमा खवा च अप्पिदसोलसपयडीओ बंधंति । एदेसु चेव छण्णोकसाएसु अवाणदेसु सोलस होति । १६ । एदेहि पच्चएहि पढमअणियट्टी सोलस पयडीओ बंधदि । एत्थ णqसयवेदे अवाणदे पण्णारस होति । १५ । एदेहि पच्चएहि बिदियअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । एदेसु इत्थिवेदे अवणिदे चोद्दस होति | १४ | । एदेहि पच्चएहि तदियअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । एत्थ पुरिसवेदे अवणिदे तेरह होति । १३ । । एदेहि पच्चएहि चउत्थअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । पुणो एत्थ कोधसंजलणे अवणिदे बारस होति |१२ । एदेहि बारसपच्चएहि पंचमअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । पुणो एत्थ माणसंजलणे अवणिदे एक्कारस होति । ११ । । एदेहि पच्चएहि छट्ठअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । एदेहिंतो मायासंजलणे अवणिदे दस होंति | १० | । एदेहि पच्चएहि सत्तमअणियट्टी अप्पिदपयडीओ बंधदि । एदेहि चेव दसहि पञ्चएहि सुहुमसांपराइयो वि अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि । दससु लोभसंजलणे अवणिदे णव होति ।९। एदे उवसंतकसाय-खीणकसाएहि बज्झमाणपयडीणं पच्चया । एदेहिंतो मज्झिमदो-दोमणवचिजोगे अवणिय ओरालियमिस्स
अपूर्वकरणप्रविष्ट उपशमक एवं क्षपक जीव विवक्षित सोलह प्रकुतियोंको बांधते हैं। इन्हीं प्रत्ययोंमेंसे छह नोकपायों को अलग करदेनेपर सोलह होते हैं (१६) । इन प्रत्ययोंसे प्रथम अनिवृत्तिकरण सोलह प्रकृतियोंको बांधता है। इनमेंसे नपुंसकवेदको अलग करदेनेपर पन्द्रह होते हैं (१५)। इन प्रत्ययोंसे द्वितीय अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकृतियोंको बांधता है । इनमेंसे स्त्रीवेदको कम करदेनेपर चौदह होते हैं (१४)। इन प्रत्ययोंसे तृतीय अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकृतियों को बांधता है । इनमेंसे पुरुषवेदको अलग करदेनेपर तेरह होते हैं (१३)। इन प्रत्ययोंसे चतुर्थ अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकृतियोंको बांधता है । पुनः इनमेंसे क्रोधसंज्वलनको अलग करदेनेपर बारह होते हैं (१२)। इन बारह प्रत्ययोंसे पंचम अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकृतियों को बांधता है । पुनः इनमेंसे मानसंज्वलको कम करदेनेपर ग्यारह होते है (११)। इन प्रत्ययोंसे छठा अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकृतियोंको बांधता है। इनमेंसे मायासंज्वलनको अलग करदेनेपर दश होते हैं (१०)। इन प्रत्ययोंसे सप्तम अनिवृत्तिकरण विवक्षित प्रकतियों को बांधता है। इन्ही दश प्रत्ययोंसे सूक्ष्मसाम्परायिक भी विवक्षित सोलह प्रकृतियोंको बांधता है । इन दश प्रत्ययोंमेंसे लोभसंज्वलनको अलग करदेनेपर नौ प्रत्यय होते हैं (९)। ये नौ उपशान्तकषाय और क्षीणकषाय जीवोंके द्वारा बांधी जानेवाली प्रकृतियोंके प्रत्यय हैं। इनमेंसे मध्यम
१ अप्रतौ ' अपुव्वकरणपइट्ठस्सुवसमा ' इति पाठः । २ प्रतिषु ' -सांपराइया ' इति पाठः ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org