Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 455
________________ (२६) परिशिष्ट शब्द पृष्ठ २७९ १३० प्रत्येकशरीर प्रदेशबन्ध प्रमत्तसंयत प्रमोक्ष प्रयोजन प्रवचन प्रवचनप्रभावना प्रवचनभक्ति प्रवचनवत्सलता प्राण्यसंयम प्राशुकपरित्यागता १३. | मतिअज्ञानी मनःपर्ययज्ञानी मनुष्यअपर्याप्त मनुष्यगति ७३, ९० मनुष्यनी मनुष्यपर्याप्त ७९, ९० मनुष्यायु महाकर्मप्रकृतिप्राभूत महामह ७२, ८७ महाव्रती मानदण्डक मागेणास्थान २, ३,८ मिथ्यात्व मिथ्यादृष्टि मूलप्रकृतिबन्ध मूलप्रत्यय २५५, २५६ २, ९, १९ ४, ३८६ य बन्ध बन्धक बन्धन बन्धनीय बन्धविधान बन्धविधि बन्धव्युच्छेद बन्धस्वामित्वविचय बन्धाध्वान बहुश्रुत बहुश्रुतभक्ति बादर बाह्यतप यथाख्यातसंयत यथाशक्तितप यशकीर्ति योग योगप्रत्यय ७२, रात रस १४६ ३५८ भय भवनवासी भव्यसिद्धिक भंग भावश्रुत भुजगारबन्ध लब्धि लब्धिसंवेगसम्पन्नता लेश्या लाभदण्डक ७९,८६ ३५६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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