Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati

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Page 453
________________ (२५) परिशिष्ट शब्द शब्द २६५ उपशमक उपशमसम्यग्दृष्टि उपशान्तकषाय उपसंहार २६५/क्षपक ३७२ क्षायिकसम्यग्दृष्टि ४ क्षीणकषाय C . गतिसंयुक्त गंध २७४ एक-एक-मूलप्रकृतिबन्ध एकस्थानदण्डक एकस्थानिक एकान्तमिथ्यात्व एकेन्द्रिय चक्षुदर्शनी चतुरिन्द्रिय चारित्रविनय चूर्णिसूत्र ऐन्द्रध्वज औदारिककाययोगी औदारिकमिश्रकाययोगी औदारिकशरीर औदारिकशरीरांगोपांग २०३ २०५ जीवसमास जीवस्थान जुगुप्सा ज्ञानविनय झानावरणीय ज्योतिषी ९२ ११, ७२, ७३ ७६, ७८ कल्पवृक्ष कषाय कषायप्रत्यय कापोतलेश्या कार्मणकाययोगी कार्मणशरीर कीलितसंहनन कृति कृष्णलेश्या केवल केवलज्ञानी केवलदर्शनी क्षण-लवप्रतिबोधनता तिर्यगायु तिर्यग्गति २१,२५ तिर्यच ३२०. ३३२ | तीर्थ २३२ तीर्थकर १० तीर्थकरनामगोत्रकर्म तीर्थकरसन्तकार्मिक तेज ३२० तेजकायिक २६४ तेजोलेश्या २९६ तैजसशरीर त्रस ७९, ८५ त्रीन्द्रिय २०० १९२ ३३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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