Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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३, ६.]
चोदसगुणट्ठाणेसु एगसमइयउत्तरपच्चयपरूवणा [२७ दोण्हं जुगलाणमेक्कदरं । भय-दुगुंछाओ। णवजोगेसु एक्को । एवमेदे चोद्दस । १४ । । एदेहि जहण्णुक्कस्सअट्ठ-चोद्दसपच्चएहि संजदासजदो अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि ।
चदुसंजलणेसु एक्को कसायपच्चओ । तिसु वेदेसु एक्को । हस्स-रदि-अरदि-सोगदोण्हं जुगलाणमेक्कदरं । णवसु जोगेसु एक्को । एवमेदे पंच जहण्णेण पच्चया । ५ । । एक्को कसायपचओ । एक्को वेदपचओ । हस्स रदि-अरदि-सोगदोणं जुगलाणमेक्कदरं । भयदुगुंछाओ। णवसु जोगेसु एक्को । एवमेदे सत्तुक्कस्सपच्चया । ७ ।। एवमेदेहि जहण्णुक्कस्सपंच-सत्तपच्चएहि पमत्तसंजदो अप्पभत्तसंजद। अपुव्वकरण। च अप्पिदपयडीओ बंधदि ।
____एकको संजलणकसाओ । एक्को जोगो । एवमेदे जहण्णेण दो पच्चया । २ ।। उक्कस्सेण तिण्णि वेदेण सह । ३ ।। एदेहि जहण्णुक्कस्सदो-तिण्णिपच्चएहि अणियट्टी अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि ।
लोभकसाओ एकको । [ एकको ] जोगपच्चओ । एवमेदेहि जहण्णेण उक्कस्सेण वि दोहि पच्चएहि सुहुमसांपराइओ अप्पिदपयडीओ बंधदि । उवरि उवसंतकसाओ खीणकसाओ सजोगी च एक्केण चेव जोगेण बंधति । एत्थ उवसंहारगाहा--
प्रकार ये चौदह प्रत्यय है । इन जघन्य और उत्कृष्ट आठ व चौदह प्रत्ययोंसे संयतासंयत जीव विवक्षित सोलह प्रकृतियोंको बांधता है।
चार संज्वलनों से एक कषाय प्रत्यय, तीन वेदों मेंसे एक, हास्य-रति और भरतिशोक इन दो युगलों से एक, तथा नौ योगोंमेंसे एक, इस प्रकार जघन्यसे ये पांच प्रत्यय हैं (५)। एक कषाय प्रत्यय, एक वेद प्रत्यय, हास्य-रति और अरति शोक इन दो युगलों से एक युगल, भय और जुगुप्सा, तथा नौ योगों में से एक, इस प्रकार ये सात उत्कृष्ट प्रत्यय हैं (७)। इस प्रकार इन जघन्य और उत्कृष्ट पांच व सात प्रत्ययोंसे प्रमत्तसंयत, अप्रमत्तसंयत और अपूर्वकरण गुणस्थानवी जीव विवक्षित प्रकृतियों को बांधता है ।
___एक संज्जलनकषाय और एक योग इस प्रकार ये जघन्यसे दो प्रत्यय (२), तथा उत्कर्षसे वेदके साथ तीन (३), इस प्रकार इन जघन्य और उत्कृष्ट दो व तीन प्रत्ययोंसे अनिवृत्तिकरण गुणस्थानवी जीव विवक्षित सोलह प्रकृतियों को बांधता है। लोभकषाय एक और एक योग प्रत्यय, इस प्रकार इन जघन्य व उत्कर्षसे भी दो प्रत्ययोंसे सूक्ष्मसाम्परायिक जीव विवक्षित प्रकृतियों को बांधता है। इससे ऊपर उपशान्तकषाय, क्षीणकषाय और सयोगिकेवली केवल एक योगसे ही बन्धक हैं । यहां उपसंहारगाथा
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