Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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२६] छक्खंडागमे बंधसामित्तविचओ
[ ३, ६. दस-सत्तारसपच्चएहि सासणसम्मादिट्ठी अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि ।
एक्केणिदिएण एक्कं कायं विराहेदि त्ति दो असंजमपच्चया । अणंताणुबन्धिचदुक्कवदिरित्तबारसकसाएसु तिणि कसायपच्चया । तिसु वेदेसु एक्को । हस्स रदि-अरदिसोगदोजुगलेसु एक्कं । दससु जोगेसु एक्को । एवमेदे सव्वे वि णव होति । ९ ।। एक्केणिदिएण छक्काए विराहेदि त्ति सत्त असंजमपच्चया । अणंताणुबंधिविरहिदबारसकसाएसु तिण्णि कसायपच्चया । तिसु वेदेसु एक्को। हस्स रदि-अरदि-सोगदोजुगलेसु एक्कयरं जुगलं । दो भय-दुगुंछाओ । दससु जोगेसु एक्को । एवमेदे सोलस पच्चया | १६ | । एदेहि जहण्णुक्कस्सणव सोलसपच्चएहि सम्मामिच्छाइट्टी असंजदसम्माइट्ठी च अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि ।
___ एक्केणिदिएण एक्कं कायं विराहेदि त्ति दो असंजमपच्चया । अणंताणुबंधि-अपचक्खाणचउक्कविरहिदअट्टकसाएसु दो कसायपच्चया । तिसु वेदेसु एक्को । हस्स-रदि-अरदिसोगदोजुगलेसु एक्कं । णवजोगेसु एक्को । एवमेदे अट्ठ । ८ ।। एक्कणिदिएण पंचकाए विराहेदि त्ति छअसंजमपच्चया। दो कसायपच्चया । एक्को वेदपचओ । हस्स-रदि-अरदि-सोग
सासादनसम्यग्दृष्टि विवक्षित सोलह प्रकृतियों को बांधता है।
एक इन्द्रियसे एक कायकी विराधना करता है इस प्रकार दो असंयम प्रत्यय, अनन्तानुबन्धिचतुष्टयको छोड़कर शेष बारह कपायों में तीन कवाय प्रत्यय, तीन वेदों में एक, हास्य-रति और अरति शोक इन दो युगलोंमेंसे एक, दश योगोंमेंसे एक, इस प्रकार ये सभी नौ प्रत्यय होते हैं (९)। एक इन्द्रियसे छह कायोंकी विराधना करता है इस प्रकार सात असंयम प्रत्यय, अनन्तानुबन्धीसे रहित बारह कषायोंमें तीन कषाय प्रत्यय, तीन वेदों में एक, हास्य-रति और अरति-शोक इन दो युगलों में एक युगल, भय और जुगुप्सा ये दो, दश योगों में एक, इस प्रकार ये सोलह प्रत्यय होते हैं (१६)। इन जघन्य और उत्कृष्ट नो और सोलह प्रत्ययोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि जीव विवक्षित सोलह प्रकृतियोंको बांधता है।
एक इन्द्रियसे एक कायकी विराधना करता है इस प्रकार दो असंयम प्रत्यय, अनन्तानुबन्धिचतुष्टय और अप्रत्याख्यानावरणचतुष्टयसे रहित आठ कषायोंमें दो कषाय प्रत्यय, तीन वेदोंमें एक, हास्य रति और अरति शोक इन दो युगलोंमें एक, नौ योगोंमें एक, इस प्रकार ये आठ प्रत्यय होते हैं (८)। एक इन्द्रियसे पांच कायोंकी विराधना करता है इस प्रकार छह असंयम प्रत्यय, दो कषाय प्रत्यय, एक वेद प्रत्यय, हास्य-रति भौर अरात-शोक इन दो युगलोंमेंसे एक, भय और जुगुप्सा, तथा नौ योगोंमेसे एक, इस
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