Book Title: Shatkhandagama Pustak 08
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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छक्खंडागमे बंधसामित्तविचओ | ५७ । । एत्थ आहारदुगमवणिदे मिच्छाइट्ठिपडिबद्धपच्चया पंचवंचास होति । ५५ । एदेहि पच्चएहि मिच्छाइट्ठी सुत्तुत्तसोलसपयडीओ बंधदि । एत्थ पंचमिच्छत्तपच्चयेसु अवणिदेसु पंचासपच्चया हॉति | ५० । । एदेहि पच्चएहि सासणसम्माइट्ठी सुत्तुत्तसोलसपयडीओ बंधदि । पंचासपच्चएसु ओरालियमिस्स-वेउव्वियमिस्स-कम्मइय-अणताणुबंधिचउक्केसु अवणिदेसु तेदालं पच्चया होति | ४३ । एदेहि पच्चएहि सम्मामिच्छाइट्ठी सोलसपयडीओ बंधदि । तेदालपच्चएसु ओरालियमिस्स-वेउव्वियमिस्स-कम्मइयपच्चएसु पक्खित्तेसु छादालं पच्चया। ४६ ।। एदेहिं पच्चएहि असंजदसम्माइट्ठी अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि । एदेसु असंजदसम्माइट्टिपच्चएसु अपच्चक्खाणचउक्क-ओरालियमिस्स-वेउब्विय-वेउवियमिस्स-कम्मइय-तसासंजमेसु अवणिदेसु सत्तत्तीसपच्चया हॉति | ३७ ।। एदेहि पच्चएहि संजदासंजदो अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि । एदेसु संजदासंजदस्स सत्तत्तीसपच्च्चएसु पच्चक्खाणचउक्क एक्कारसअसंजमपच्चएसु अवणिदेसु अवसेसा बावीस, तत्थ आहारदुगे पक्खित्ते चउवीस पच्चया होति ।२४ ।। एदेहि पच्चएहि पमत्तसंजदो अप्पिदसोलसपयडीओ बंधदि । एदेसु चउवीसपच्चएसु आहारदुगमवणिदे बावीस पच्चया होंति |२२| । एदेहि पच्चएहि अप्पमत्तसंजदा
इनमेसे आहारक और आहारकमिश्रको अलग करदेनेपर मिथ्यादृष्टिसे सम्बद्ध प्रत्यय पचवन (५५) होते हैं । इन प्रत्ययोंसे मिथ्यादृष्टि सूत्रोक्त सोलह प्रकृतियोंको बांधता है । इनमेंसे पांच मिथ्यात्वप्रत्ययोंको अलग करदेनेपर पचास (५०) प्रत्यय होते हैं । इन प्रत्ययोंसे सासादनसम्यग्दृष्टि सूत्रोक्त सोलह प्रकृतियोंको बांधता है। इन पचास प्रत्ययोंमेंसे औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र, कार्मण और चार अनन्तानुबन्धी प्रत्ययोंको अलग करदेनेपर तेतालीस प्रत्यय होते हैं (४३) । इन प्रत्ययोंसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि सोलह प्रकृतियोंको बांधता है। तेतालीस प्रत्ययों में औदारिकमिश्र, वैक्रियिकमिश्र और कार्मण प्रत्ययोंको मिलादेनेपर छयालीस प्रत्यय होते हैं (४६)। इन प्रत्ययोंसे असंयतसम्यग्दृष्टि विवक्षित सोलह प्रकृतियोंको बांधता है। इन असंयतसम्यग्दृष्टिके प्रत्ययोंमेंसे चार अप्रत्याख्यानावरण, औदारिकमिश्र, वैक्रियिक, वैक्रियिकमिश्र, कार्मण और त्रसासंयम, इन नौ प्रत्ययों को कम करदेनेपर सैंतीस प्रत्यय होते हैं (३७)। इन प्रत्ययोंसे संयतासंयत विवक्षित सोलह प्रकृतियों को बांधता है । इन संयतासंयतके सैंतीस प्रत्ययोंमेंसे चार प्रत्याख्यान और ग्यारह असंयम प्रत्ययोंको कम करदेनेपर शेष बाईस रहते हैं, उनमें आहारक और आहारकमिश्रको मिला देनेपर चौबीस प्रत्यय होते हैं (२४)। इन प्रत्ययोंसे प्रमत्तसंयत विवक्षित सोलह प्रकृतियोंको बांधता है । इन चौबीस प्रत्ययोंमेंसे आहारकद्विकको कम करदेनेपर बाईस प्रत्यय होते है (२२)। इन प्रत्ययोंसे अप्रमत्तसंयत और
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