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महोपाध्याय समयसुन्दर
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५०० मूतियों की आपने प्रतिष्ठा की थी। भाणवड पार्श्वनाथ तीर्थ के स्थापक भी आप ही थे। सं० १६७७ जेठ यदि ५ को चोपड़ा बासकरण कारापित शान्तिनाथ आदि मन्दिरों की आपने प्रतिष्ठा की थी; ( देखें, मेरी संपादित, प्रतिष्ठा लेख संग्रह प्रथम भाग)। जेसलमेर निवासी भणसाली गोत्रीय सङ्घपति थाहरु कारित,जैनों के प्रसिद्ध तीर्थ लौद्रवाजी की प्रतिष्टा भी सं० १६७५ गर्गशीर्ष शुक्ला द्वादशी को आपने ही की थी और आपकी ही निश्रा में सं० थाहरु ने शत्रु आय का सङ्घ निकाला था। कहा * गता है कि अंबिका देवी आपको प्रत्यक्ष थी और देवी की सहायता से ही घडाणी तीर्थ में प्रकटित मूर्तियों के लेख मापने पाचे थे। आपकी प्रतिष्ठापित सैकड़ों मूर्तियाँ आज भी उपलब्ध है। मल्पं० १६६६ आषाढ़ शुक्ला को पाटण में आपका स्वर्ग: वास हुउआ था । आप न्याय, सिद्धान्त और साहित्य के उद्भट विद्वान थे। पापकी रचित निम्न कृतियें प्राप्त हैं:
१.स्थानांग सूत्र वृत्ति (अप्राप्त, उल्लेख मात्र प्राई) २. नैषध महाका जैनराजी टीका श्लो० सं० ३००
(उत्कृष्टनर पाण्डित्यपूर्ण टीका, प्रति संग्रह में) ३. धन्ना शालिभद्र रास सं० १६७६, (सचित्र प्रति संग्रह में) ४. गुणस्थान विचार पाश्वस्तवन- सं० १६ ५. पार्श्वनाथ गुणबोली स्तव. ॥ १.६ पो०व०८ ६. गज सुकुमाल रास.
, १६६४ अहमदाबाद
(प्रति,मेरे संग्रह में) ७. प्रश्नोत्तर रत्नमालिका बालावबोध ८. चौवीसी
६. वीसी. १०.शील बतीसी. ११. कर्म बतीसी. .१२. नवतत्त्व स्तवक.. . १३. स्तवन संग्रह.
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