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आकासानञ्चायतन
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आकासानन्तं आकासानन्तमेव आकासानञ्चं तं आकासानञ्च अधिट्ठानद्वेन आयतनमस्स ससम्पयुत्तधम्मस्स झानस्स देवानं देवायतनमिवाति आकासानञ्चायतनं विसुद्धि. 1.321; अयं आकासानञ्चायतनकम्मट्ठाने वित्थारकथा, विसुद्धि. 1.321; 4. आकाश की अनन्तता का क्षेत्र (आकिञ्चचायतन) अरूपध्यान भी है और अरूपध्यान की भावना करने वाले चित्त का आलम्बन भी - आकासानञ्चायतन समतिक्कम्माति पुब्बे वुत्तनयेन झानम्पि आकासानञ्चायतनं आरम्मणम्पि..., पटि. म. अट्ठ. 2.143; सब्बसो रूपसानं समतिक्कमा ... नानत्तसज्ञानं अमनसिकारा 'अनन्तो आकासो ति, आकासानञ्चायतनं उपसम्पज्ज विहरति, दी. नि. 1.163-64; 5. आकाशानन्त्यायतन-ध्यान को प्राप्त योगी के चित्त में समस्त रूप संज्ञाएं निरूद्ध हो जाती हैं - नं द्वि. वि., ए. व. - आकासानञ्चायतनं समापन्नस्स रूपसा निरुद्धा होति, अ. नि. 3(1).218; 6. क्या आकासानञ्चायतन असंस्कृत धर्म है? - आकासानञ्चायतनं असङ्घतं, कथा. 271; आकासानञ्चायतनं ... कुसलतो च विपाकतो च किरियतो च, अभि. अव. 104; 7. आकाशानन्त्यायन के सम्बन्ध में अनेक मिथ्यादृष्टियां हैंआकासानञ्चायतन समापन्नस्स सतो रूपसहगता सामनसिकारा विसेसाय संवत्तन्तीति न युज्जति देसना, नेत्ति. 24; आकासानञ्चायतनं आकासानञ्चायतनतो सजानाति, ... सञत्वा... मति, ... अपरिञातं तस्साति वदामि, म. नि. 1.3; -- कम्मट्ठान नपुं.. विसुद्धि के एक खण्ड-विशेष का शीर्षक, विसुद्धि. 1.316-321; - किरियचित्त नपु. तत्पु. स. [आकाशानन्त्यायतनक्रियाचित्त], आकाश की अनन्तता को आलम्बन बनाने वाला अरूपभूमि का क्रियाचित्त - आकासानञ्चायतनकिरियचित्तं, ..., इमानि चत्तारिपि अरूपावचरकिरियचित्तानि नाम, अभि. ध. स. 5; - कु सलचित्त नपु., कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनकुशलचित्त], आकाश की अनन्तता को आलम्बन बनाने वाले अरूप भूमि के चार कुशलचित्तों में प्रथम चित्त --- आकासानञ्चायतनकुसलचित्तं, ... इमानि चत्तारिपि अरूपावचरकुसलचित्तानि नाम, अभि. ध. स. 5; अथ वा आकासानञ्चं आयतनं अस्साति आकासानञ्चायतनं. झान तेन सम्पयत्त कसलचित्त आकासानञ्चायतनकुसलचित्तं, अभि. ध. वि. टी. 93; - कु सलवे दना स्त्री., तत्पु. स. [आकाशानन्त्यायतनकुशलवेदना], आकाश की अनन्तता
आकासानञ्चायतन को आलम्बन बनाने वाले अरूपध्यान के प्रथम चित्त में उदित कुशल वेदना - आकासानञ्चायतनकुसलवेदना सुखुमा आकासानञ्चायतनकुसलवेदना ओळारिका .... विभ. अट्ठ. 16; - खन्ध पु., [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनस्कन्ध], स्कन्ध या राशि के रूप में आकाशानन्त्य-नामक प्रथम अरूपध्यान अथवा इस ध्यान वाला चित्त - न्धे सप्त. वि., ए. व. - आकासानञ्चायतनखन्धे विपस्सन्तस्स विपस्सनुपेक्खा आरम्मणवसेन आकासानञ्चायतननिस्सिता. म. नि. अट्ट. (उप.प.) 3.198; - चित्त नपुं., कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनचित्त], अरूपध्यान का वह चित्त, जो आकाश की अनन्तता को अपना आलम्बन बनाता है - तस्सेवं.... पथवीकसिणादीस रूपावचरचित्तं विय आकासे आकासानञ्चायनचित्तं अप्पेति, विसुद्धि. 1.317; - ज्झान नपुं, कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनध्यान], वह अरूपध्यान, जिसमें आकाश की अनन्तता पर चित्त को एकाग्र किया जाता है - नेन तृ. वि., ए. व. - वृत्तप्पकारेन हि आकासानञ्चायतनज्झानेन सम्पयुत्तं पठम विआणञ्चायतनादीहि दुतियततियचतुत्थानि, विसुद्धि. 2.80; - धातु स्त्री., कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनधातु], ध्यान के आलम्बन के रूप में अनन्त आकाश (नामक तत्त्व) - ..., आकासानञ्चायतनधातु, ... सत्त धातुयो ति, आकासानञ्चायतनमेव आकासानञ्चायतनधात. स. नि. अट्ठ. 2.118; - निस्सित त्रि., तत्पु. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतननिःश्रित], आकाशानन्त्य-नामक ध्यान अथवा इस ध्यान के आलम्बन पर आश्रित-ता स्त्री, प्र. वि., ए. व. - उपेक्खा नानत्ता नानत्तसिता. .... उपेक्खा एकत्ता एकत्तसिता, उपेक्खा... आकासानञ्चायतननिस्सिता, म. नि. 3.268; यस्मा पन द्वे वा तीणि वा आकासानञ्चायतनानि वा विआणञ्चायतनादीनि वा नत्थि, तस्मा एकत्तं एकत्तसितं विभजन्तो अस्थि, भिक्खवे, उपेक्खा आकासानञ्चायतननिस्सितातिआदिमाह, म. नि. अठ्ठ. (उप.प.) 3.198; - भव पु., कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनभव], आकाशानन्त्यायतन-ध्यान-चित्त के विपाक के रूप में प्राप्त इसी नाम वाला भव (जन्म, अस्तित्त्व) - आकासानञ्चायतनूपगोतिआदीसु पन आकासानञ्चायतनभवं उपगतोति, दी. नि. अट्ठ. 1.103; - भूमि स्त्री., कर्म. स. [बौ. सं. आकाशानन्त्यायतनभूमि]. अरूपावचर भूमि का एक प्रभेद, अरूपध्यान की भावना कर रहे चित्त की वह अवस्था, जिसमें आकाश की अनन्तता पर चित्त को एकाग्र किया जाता है - आकासानञ्चायतनभूमि
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