Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 390
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस्सरनिम्मानविहार 363 इस्सराधिपच्च इस्सरनिम्मानविहार पु., व्य. सं., एक विहार जिसका अधिक प्रचलित नाम इस्सरसमणविहार था - रे सप्त. वि., ए. व. - एक थूपारामे, एक इस्सरनिम्मानविहारे, एक पठमचेतियट्ठाने, पारा. अट्ठ. 1.69. इस्सरनिम्मानहेतु त्रि., ब. स., ईश्वर द्वारा उत्पन्न किया गया, ईश्वर की रचना से समुद्भूत, ईश्वर के कारण से - तु नपुं, द्वि. वि., ए. व. - सत्ता इस्सरनिम्मानहेतु सुखदुक्खं पटिसंवेदेन्ति, म. नि. 3.8; ... तेनहायस्मन्तो पाणातिपातिनो भविस्सन्ति इस्सरनिम्मानहेतु, अ. नि. 1(1).203; इस्सरनिम्मानहेतुति दुतियं मो. वि. 230. इस्सरपुरिस पु., कर्म, स. [ईश्वरपुरुष], शक्तिशाली अथवा सक्षम पुरुष, धनाढ्य व्यक्ति - सो प्र. वि., ए. व. - .... अल्लकोसो अल्लवत्थो इस्सरपरिसो विय तस्मिं.... जा. अट्ट, 1.108. इस्सरभत्तिगण पु., तत्पु. स. [ईश्वरभक्तिगण], ईश्वर या महेश्वर की भक्ति करने वालों (शिव भक्तों) का समूह - णानं ष. वि., ब. व. - इस्सरभत्तिगणानं गावीस कतं सूललक्ख णं, अ. नि. टी. 3.340. इस्सरभाव पु., ईश्वरभाव, ईश्वरत्व, अधिपतित्व, ऐश्वर्य, शानशौकत - वो प्र. वि., ए. व. - इस्सरभावो इस्सरियं, खु. पा. अट्ट, 184; सद्द 2.451. इस्सरमेरी स्त्री., तत्पु. स. [ईश्वरभेरी], शा. अ., धनाढ्य अथवा महत्वपूर्ण व्यक्ति का ढोल या नगाड़ा, ला. अ., राजा या अधिपति जैसे महत्वपूर्ण व्यक्ति द्वारा जारी कराई जा रही उद्घोषणा - री प्र. वि., ए. व. - चोरा पठम व भेरिस सत्वा "इस्सरभेरी भविस्सती ति.... जा. अट्ठ. 1.273. इस्सरमद/इस्सरियमद पु., तत्पु. स. [ऐश्वर्यमद]. ऐश्वर्य का मद, ऐश्वर्य का अहङ्कार – दं द्वि. वि., ए. व. - पहाय इस्सरमद, भवे सग्गगतो नरो, पे. व. 752; - सम्भव त्रि., ब. स., ऐश्वर्य के अहङ्कार के कारण उत्पन्न – वं पु., द्वि. वि., ए. व. - एतमादीनवं ञत्वा, इस्सरमदसम्भवं पे. व. 752. इस्सरवचन नपुं, तत्पु. स., व्याकरणों में प्रयुक्त, (किसी के बीच) प्रधान या प्रमुख होने का अर्थ, प्रधान होने का कथन - ने सप्त. वि., ए. व. - यस्मा उप अधि इच्चेते अधिकिस्सरवचने वत्तन्ति, सद्द. 3.729; ... अधिकवचने च इस्सरवचने च सत्तमी विभत्ति होति, सद्द. 3.729. इस्सरवता स्त्री॰, भाव. [ईश्वरवत्ता], अधिपति या समर्थ व्यक्ति होने का अत्यधिक घमण्ड-भाव, हेकड़ी, औद्धत्य - य तृ. वि., ए. व. - सेनासनत्थाय नियमितं कुलसङ्गहणत्थाय ददतो दुक्कट इस्सरवताय थुल्लच्चयं थेय्यचित्तेन पाराजिक पारा. अट्ट, 1.307; इस्सरवतायाति “मयि देन्ते को निवारेस्सति, अहमेवेत्थ पमाण"न्ति एवं अत्तनो इस्सरियभावेन, वि. वि. टी. 1.176; योपिस्सरवतायेव, देन्तो थुल्लच्चयं फुसे, विन. वि. 441. इस्सरसमणक पु., व्य. सं., श्रीलङ्का के राजा देवानंपिय तिस्स द्वारा 247-207 ई. पू. में अनुराधपुर में निर्माण कराया गया एक विहार या आराम, इस्सरसमणविहार नाम से भी विख्यात इस विहार का निर्माण महेन्द्र से उपसम्पदा प्राप्त अरिठ्ठ आदि पांच सौ भिक्षुओं के विहार करने के स्थान पर कराया गया था - को प्र. वि., ए. व. - पञ्चसतेहिस्सरेहि, महाथेरस्स सन्तिके, पब्बजा वसितवाने इस्सरसमणको अहु, म. वं. 20.14; - के सप्त. वि., ए. व. – सो येवुपोसथागारं इस्सरसमणके इध, म. वं. 35.87; इस्सरसमणके इधा ति इध अनुराधपुरसन्तिके पुब्बवोहारेन पाकटभूते इस्सरसमणसङ्घाते कच्छपगिरिविहारे सो वसभो येव उपोसथागारं कारेसी ति अत्थो, म. वं. टी. 608 (ना.). इस्सरसमणविहार पु., उपरिवत् - रं द्वि. वि., ए. व. - अथेकदिवसं पातो येव इस्सरसमणविहारं गन्त्वा ... सील आवजेन्तो निसीदि, म. वं. टी. 561(ना.). इस्सरसमणव्ह त्रि., ब. स., इस्सर-समण नाम वाला (विहार)- स्स पु., ष. वि., ए. व. - इस्सरसमणव्हस्स, विहारस्स अदासि सो, म. वं. 35.47; - म्हि सप्त. वि., ए. व. - इस्सरसमणव्हम्हि, तिस्सव्हे नागदीपके, म. वं. 36.36. इस्सरसमणाराम पु., कर्म. स., इस्सरसमण नामक आराम - मे सप्त. वि., ए. व. - इस्सरसमणारामे, पठमे, चेतियङ्गणे, म. वं. 19.61; -- मं द्वि. वि., ए. व. - इस्सरसमणाराम, कारेत्वा पुब्बवत्थुतो, चू. वं. 39.10. इस्सरा स्त्री., [ईश्वरा], अधिपतिनी, घर की मालकिन, सर्वशक्तिसम्पन्ना गृहस्वामिनी – रा प्र. वि., ए. व. - विजायिस्सति सब्बस्स कुटुम्बस्स इस्सरा भविस्सति, पारा. 101; सा दानि सब्बस्स कुलस्स इस्सरा, जा. अट्ट. 3.377; ताय सकलाय पथविया साव इस्सरा होति, जा. अट्ठ. 7.266. इस्सराधिपच्च त्रि./न., कर्म. स. [ईश्वराधिपत्य/ ऐश्वर्याधिपत्य], क. नपुं., ऐश्वर्यमय आधिपत्य, सम्पूर्ण रूप से प्रभुत्व, चक्रवर्ती राजा के रूप में शासन, ख. त्रि., For Private and Personal Use Only

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