Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

View full book text
Previous | Next

Page 393
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इस्सरियसुख 366 इस्साधम्म देवराज इन्द्र की सम्पदाओं के समान प्रभुत्व या अधिकार इस्सरियासा स्त्री., तत्पु. स. [ऐश्वर्याशा], आधिपत्य या राजपद पाने की आशा - सं द्वि. वि., ए. व. - आस देवराजभोगसम्पत्तिसदिसइस्सरियसम्पत्तिं अनुभवन्तो .... पुरक्खत्वाति इस्सरियासं पुरतो कत्वा .... जा. अट्ठ. 5.397. चरिया. अट्ट, 120. इस्ससिङ्ग नपुं, तत्पु. स. [ऋष्यशृङ्ग], कृष्णमृग का वक्र इस्सरियसुख नपुं., तत्पु. स. [ऐश्वर्यसुख], आधिपत्य का सींग -ङ्ग विवि., ए. व. - वाणिजो विय वाचासन्थुतियो सुख, ऐश्वर्य का सुख - खं प्र. वि., ए. व. - ... इस्ससिङ्गमिव विपरिवत्तायो उरगमिव दुजिव्हायो, जा. अट्ठ. यानसुखं सयनसुखं, इस्सरियसुखं आधिपच्चसुखं गिहिसुखं 5.421. ..., कथा. 177. इस्सा स्त्री., [ईर्ष्या], ईर्ष्या, डाह, दूसरों को आनन्दित एवं इस्सरियाधिपच्च नपुं./त्रि., [ऐश्वर्याधिपत्य], 1. एकछत्र समृद्ध देखकर मन में उत्पन्न दाह - सा प्र. वि., ए. व. आधिपत्य वाला, पूर्ण रूप से अपने ही प्रभुत्व वाला, 2. - इस्सा इस्सायं, सद्द. 2.441; इस्सा उसूया मच्छेर, तु चक्रवर्ती के रूप में आधिपत्य, प्रधान राजा या ईश्वर के मच्छरिय मच्छर, अभि. प. 168; या रूप में राजपद - च्च' पु., द्वि. वि., ए. व. - ... राजा परलाभसक्कारगरुकारमाननवन्दनपूजनासु इस्सा इस्सायना पसेनदि कोसलो इस्सरियाधिपच्चं रज्जं कारेति, म. नि. इस्सायितत्तं उसूया उसूयना उसूयितत्तं - अयं वुच्चति 2.338; ... उपजीवमानो देवानं तावतिंसानं “इस्सा विभ. 413; यं एवरूपं निवारियं निवरियकम्मं इस्सा इस्सरियाधिपच्चं रज्जंकारेन्तो..., स. नि. 1(1).251; राजा इस्सायना इस्सायितत्तं ..., महानि. 330; इस्सायना इस्सा, चक्कवत्ती चतुन्नं दीपानं इस्सरियाधिपच्चं रज्जं कारेत्वा सा परसम्पत्तीनं उसूयनलक्खणा, विसुद्धि. 2.97; ...., उदा. अट्ठ. 85; - च्चं नपुं., प्र. वि., ए. व. परसम्पत्तिउसूयनलक्खणा इस्सा, विसुद्धि. महाटी. 1.78; - इस्सरियाधिपच्चन्ति इस्सरभावेन वा इस्सरियमेव वा - सं द्वि. वि., ए. व. - आधिपच्चं, न एत्थ साहसिककम्मन्तिपि इस्सरियाधिपच्चं, परलाभसक्कारगरुकारमाननवन्दनपूजनासु इस्सति अ. नि. अट्ठ. 2.192; - च्चे सप्त. वि., ए. व. - उपदुस्सति इस्सं बन्धति, अ. नि. 1(2).233; मयह इस्सराधिपच्चे रज्जेति चक्कवत्तिरज्जं सन्धायेवमाह, अ. उपासिका ति मानं वा इस्सं वा कातुं न वट्टति, ध, प. अट्ठ. नि. अट्ठ. 2.28. 1.292; इस्सं करिंसु तस्स , राजपुत्तस्स सेवका, म. वं. इस्सरियाधिपच्चकारक त्रि, ऐश्वर्याधिपत्यकारक], एकछत्र 23.36; - य तृ. वि., ए. व. - सचे कोचि इस्साय उद्दिस्स राज्य करने वाला चक्रवर्ती, ईश्वरभाव से अथवा सम्पूर्ण कतं उपक्खटं परिभोग अन्तरायं करेय्य मि. प. 155; स. स्वामित्व के रूप में आधिपत्य-युक्त-का पु.. प्र. वि., ब. उ. प. के रूप में, महि.- अत्यन्त प्रबल ईर्ष्या - स्सया व. - एत्थ चतुन्नं महादीपानं द्विसहस्सानं परित्तदीपानञ्च तृ. वि., ए. व. - दिन्नं महापसादं तं असहन्तो महिस्सया, इस्सरियाधिपच्चकारका चक्कवत्ती उप्पज्जन्ति, खु. पा. चू. वं. 72.76. अट्ठ. 106. इस्साकार पु., [ईर्ष्याकार], ईर्ष्या का स्वरूप, ईर्ष्या का इस्सरियानुप्पदानसमत्थ त्रि., तत्पु. स. प्रकार - रो प्र. वि., ए. व. - इस्साकारो इस्सायना, [ऐश्वर्यानुप्रदानसमर्थ]. एकछत्र राज्य या पूर्ण आधिपत्य ध. स. अट्ठ. 398. को प्रदान करने में सक्षम - त्थो पु., प्र. वि., ए. व. - इस्साचार पु., [ईर्ष्याचार], ईर्ष्या से भरा आचरण, ईर्ष्यामय यो चायं चक्करतनस्स द्विसहस्सदीपपरिवारेसु चतूसु व्यवहार - रेन तृ. वि., ए. व. - न चापि सोत्थि भत्तार महादीपेसु इस्सरियानुप्पदानसमत्थो महानुभावो, म. नि. इस्साचारेन रोसये, अ. नि. 2(1).33; "न चा पि सोत्थि अट्ठ. (उप.प.) 3.87. भत्तारं इस्साचारेन मञ्जतीति, सद्द. 3.633. इस्सरियानुभाव त्रि., ब. स. [ऐश्वर्यानुभाव], आधिपत्य के इस्साजर त्रि., ब. स., ईर्ष्या के ज्वर से पीड़ित - रो पु., प्रभाव से युक्त, राजा के प्रभाव से युक्त, राजकीय शान- प्र. वि., ए. व. - कन्दं इस्साजरो मन्दो विरियं न करोति शौकत वाला- वो पु, प्र. वि., ए. व. - तस्सिस्सरियानुभावो सो, चू. वं. 72.77. "भूतपुब्ब, आनन्द, राजा महासुदस्सनो नाम अहोसि .... इस्साधम्म पु., तत्पु. स. [ईाधर्म], एक (चैतसिक) धर्म के चरिया. अट्ठ. 40. रूप में ईर्ष्या, ईर्ष्या का लक्षण - म्मो प्र. वि., ए. व. - For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402