Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 371
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इन्द्रियमुदुता 344 इन्द्रियवेकल्ल इन्द्रियमुदुता स्त्री०, तत्पु. स., इन्द्रियों की मन्दता या इन्द्रियों की उत्तम या अवर कोटियों की अवस्था का ज्ञान शिथिलता - ता प्र. वि., ए. व. - न च इन्द्रियमदुता - णं प्र. वि., ए. व. - इन्द्रियवरोवरियत्तत्राणन्तिपि पाठो, अभब्बताकरो धम्मोति, प. प. मू. टी. 104. वरानि च अवरियानि च वरोवरियानि, वरोवरियानं भावो इन्द्रियमूलक त्रि., इन्द्रियों के द्वारा उत्पादित, इन्द्रियों पर वरोवरियत्तन्ति योजेतब्ब, अवरियानीति च न उत्तमानीति आधारित - के सप्त. वि., ए. व. -- इन्द्रियमूलके पुरेजाते अत्थो, पटि. म. अट्ठ. 1.48. एकन्ति ... अब्याकतं, प. प. अट्ठ. 455. इन्द्रियववत्थान नपुं., तत्पु. स., छ इन्द्रियों का निर्धारण, इन्द्रिययमक नपुं., व्य. सं., इन्द्रियों का विवेचन करने वाले इन्द्रियों का विनिश्चय, चक्षु आदि छ इन्द्रियों का व्यवस्थितयम. के दसवें खण्डविशेष का शीर्षक, यम. 3.102-486; - भाव या विनिश्चय-भाव - नं प्र. वि., ए. व. - कं प्र. वि., ए. व. - तं मूलयमकं ... इन्द्रिययमकन्ति इन्द्रियववत्थानन्ति चक्खादीनं छन्नं इन्द्रियानं ववत्थितभावो, दसविधेन विभत्तं ध. स. अट्ट, 9-10. नेत्ति. अट्ट, 221; - लक्खण त्रि., ब. स., वह, जिसका इन्द्रिययोग पु., तत्पु. स. [इन्द्रिययोग]. (चित्त के साथ) लक्षण इन्द्रियों को व्यवस्थित भाव में लाना हो - णं न.. इन्द्रियों का सम्बन्ध, इन्द्रियों के साथ सम्पर्क, इन्द्रियों के प्र. वि., ए. व. - इन्द्रियववत्थानलक्खणं छळायतन, तं साथ संयोग - गो प्र. वि., ए. व. - एवं इन्द्रिययोगोपि फस्सस्स पदट्ठान, नेत्ति. 25. वेदितब्बो विभाविना, अभि. अव. 119. इन्द्रियवस पु.. [इन्द्रियवश], इन्द्रिय का बल, इन्द्रिय का इन्द्रियरूप नपुं.. रूप-नामक परमार्थ धर्म में अन्तर्भूत पांच प्रभाव, इन्द्रिय का अधिकार - सं द्वि. वि., ए. व. - प्रकार के प्रसाद रूप (चक्षु, स्रोत, घ्राण, जिह्वा, काय), स्त्री- इन्द्रियवसं गतो ति ञत्वा ..., जा. अट्ठ. 3.409; इन्द्रिय, पुरुष-इन्द्रिय तथा जीवितिन्द्रिय नामक आठ धर्म, किलेसकामवसेन छन्नं इन्द्रियानं वसं गच्छति, जा. अट्ठ. 3. रूप में अन्तर्भूत आठ इन्द्रियां - पं प्र. वि., ए. व. - 409. पसादभावजीवितसङ्घातं अट्ठविधम्पि इन्द्रियरूपं नाम, अभि. इन्द्रियवसिक त्रि., इन्द्रियों के वश या प्रभाव में रहने वाला ध. स. 43; अट्ठविधम्पि इन्द्रियरूपं पञ्चविञाणेसु लिङ्गादीसु - को पु., प्र. वि., ए. व. - सो वयप्पत्तो योब्बनमनुप्पत्तो सहजरूपपरिपालने च आधिपच्चयोगतो, अभि. ध. स. 181; इन्द्रियवसिको हुत्वा ..., थेर. अट्ट, 1.267. चक्खादयो पञ्च पसादा, भावद्वयं, जीवितिन्द्रियन्ति इन्द्रियविकार पु.. [इन्द्रियविकार], इन्द्रियों का परिवर्तन, अट्ठविधम्पि इन्द्रियरूपं नाम, इतरं अनिन्द्रियं, मो. वि. टी. 69. इन्द्रियों का रूपान्तरण, इन्द्रिय-विकृति - रं द्वि. वि., ए. इन्द्रियलोक पु., [इन्द्रियलोक]. शा. अ., इन्द्रियों का व. - अथस्स इन्द्रियविकारं दिस्वा सहायका भिक्खू ... लोक, ला. अ., क. तीन प्रकार के लोकों में एक, विमुक्ति पुच्छिंसु, जा. अट्ठ. 1.290; सा तस्स इन्द्रियविकारं दिस्वा, के परिपाक में सहायक श्रद्धा आदि इन्द्रियों से युक्त जा. अट्ठ. 7.154; कस्सिन्द्रियविकारं ओलोकेतीति, पटि. प्राणियों का लोक, ख. अरूपावचरभूमि के प्राणियों का म. अट्ठ 1.284. लोक-को प्र. वि., ए. व. - लोको तिविधो किलेसलोको इन्द्रियविप्पकार पु., उपरिवत् - रं द्वि. वि., ए. व. - भवलोको इन्द्रियलोको, नेत्ति. 11; तत्थ ये विमुत्तिपरिपाचकेहि तस्स इन्द्रियविप्पकारं दिस्वा, जा. अट्ठ. 1.459. इन्द्रियेहि समन्नागता सत्ता, सो इन्द्रियलोकोति वेदितब्ब, इन्द्रियविभङ्ग पु., व्य. सं., विभङ्ग के एक खण्ड का शीर्षक, नेत्ति. अट्ठ. 194; सद्धिन्द्रियादिधम्मट्ठो आधिपच्चट्ठयोगवसेन विभ. 137-152; - ङ्गे सप्त. वि., ए. व. - इन्द्रियविभङ्गे पन इन्द्रियभूतो हुत्वा सद्धिन्द्रियादिपत्तनतुन लोको चाति इन्द्रियानं... वेदितब्ब, पारा. अट्ठ. 1.113; विसुद्धि. 1.159; इन्द्रियलोको, नेत्तिवि. 246; - केन तृ. वि., ए. व. - किं - वणना स्त्री., विभ. अट्ठमें इन्द्रियविभङ्ग की व्याख्या, पनेत्थ अरियानम्पि इन्द्रियलोकेन सङ्गहो होतीति आह विभ. अट्ट. 117-121. परियापन्नधम्मवसेनाति आदि, नेत्ति. टी. 46. इन्द्रियविसय पु., तत्पु. स., इन्द्रियों का विषय - यो प्र. इन्द्रियवग्ग पु., व्य. सं. [इन्द्रियवग्ग], अ. नि. के एक वि., ए. व. - सोपि सुपाकटभावेन इन्द्रियविसयो विय वग्ग का शीर्षक, अ. नि. 1(2).163-171. होतीति, म. नि. टी. (उप.प.) 3.9. इन्द्रियवरोवरियत्तत्राण नपं., (दूसरों की) इन्द्रियों की इन्द्रियवेकल्ल नपुं, तत्पु. स. [इन्द्रियवैकल्य], इन्द्रियों तीक्ष्ण और मन्द अवस्था या कोटियों का ज्ञान या बोध, की अपूर्णता, इन्द्रियों की अक्षमता, इन्द्रियों का अधूरापन, For Private and Personal Use Only

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