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इसिव्हय
इसिव्हय त्रि०, ब० स० [ ऋष्यावय], ऋषि नाम वाला ये सप्त. वि. ए. व. वत्तेस्सति चक्कमिसिव्हये वने सु. नि. 689; इसिव्हयं गमित्वान, विनेत्वा पञ्चवग्गिये, अप. 2.153. इसिस पु. तत्पु. स. [ ऋषिसह ] ऋषिमण्डली, ऋषिसमूह
हे सप्त वि. ए. व. - इसिस अहं पुब्बे, आसिं मातङ्गवारणी, अप. 1.266; अहं पुब्बे बोधिसम्भारपूरणकाले इसिस पच्चेकबुद्धइसिसमूहे अप. अड. 2.191; एकतिंसतिमे वग्गे पठमापदाने इसिस अहं पुब्बेति अप. अट्ठ. 2.191; निसेवित त्रि, तत्पु० स० [ ऋषिसङ्घनिसेवित] ऋषियों के समूह द्वारा उपयोग किया जा रहा, ऋषि समूह द्वारा सेवा किया जा रहा तं नपुं०, प्र. वि., ए. व. - इदहि तं जेतवनं, इसिसङ्घनिसेवितं, म. नि 3.314; तो पु०, प्र. वि. ए. व. ताणो पञ्ञावुधो सत्था, इसिसङ्घनिसेवितो, थेरगा. 763; इसिसङ्खेन अग्गसावकादिअरियपुग्गलसमूहेन निसेवितो पयिरूपासितो इसिसङ्घनिसेवितो, थेरगा. अट्ठ. 2.244.
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इसिसत्तम पु. तत्पु स. [ ऋषिसत्तम / ऋषिसप्तम] 1. ऋषियों में श्रेष्ठ (बुद्ध), 2. ऋषियों के बीच (बुद्धों के बीच ) सातवां (गौतम बुद्ध) विपस्सी, सिखी, वेस्सभू, ककुसन्ध कोणागमन तथा कस्सप इन छ बुद्धों सहित सातवें के रूप में गौतम बुद्ध मो प्र. वि. ए. व. नागनामोसि भगवा, इसीनं इसिसत्तमो. स. नि. 1 (1).223; इसीनं इसिसत्तमोति विपरिसतो पट्टाय इसीनं सत्तमको इसि स. नि. अट्ट 1. 245; इसीनं इसिसत्तमोति सावकपच्चेकबुद्धइसीनं उत्तमो इसि. विपस्सीसम्मासम्बुद्धतो पद्वाय इसीनं वा सत्तमको इसि थेरगा. अड. 2444-445 - म सम्बो., ए. व. एस सुत्वा पसीदामि वचो ते इसिसत्तम सु. नि. 358; तत्थ पठमगाथाय इसिसतमाति भगवा इसि च सत्तमो पातुभूतोतिषि इसिसत्तमो सु. नि. अड. 2.76; - छ इसयो अत्ता सह सत्त करोन्तो पातुभूतोतिपि इसिसत्तमो, तं आलपन्तो आह, सु. नि. अड. 2.76 - मं द्वि. वि. ए. व.
तदाहं सन्थविं वीरं, गाथाहि, इसिसत्तमं, अप. 2.149. इसिसामञ्ञ नपुं तत्पु स [ ऋषिश्रामण्य]. ऋषि का श्रमणभाव, भिक्षु का श्रमणभाव, स. प. के अन्त इसिसामञ्ञभण्डुलिङ्गधारणतोपि दक्खिणं विसोधेति मि. ए.
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इसिसिङ्ग पु. [ ऋष्यशृङ्ग / ऋश्यशृङ्ग, बौ. सं., ऋषिशृङ्ग]. एक ऋषि, मृग के दो शृङ्गों जैसे मस्तक पर उठे हुए दो चूलों (केशों के कारण इसिसिङ्ग नाम को प्राप्त एक ऋषि,
इस्सति
बोधिसत्त तथा एक मृगी के सम्पर्क के फलस्वरूप उत्पन्न एक ऋशि द्वि. वि. ए. व. - इसिप्पलोभने गच्छ इसिसिङ्ग अलम्बुसे, जा० अट्ठ. 5.147; इसिसिङ्गन्ति तस्स किर मत्थके मिगसिङ्गाकारेन द्वे चूळा उद्वहिंसु तस्मा एवं वुच्यति जा. अट्ठ. 5.147; ङ्गो प्र. वि., ए. व. महासत्तो तं पुत्तसिनेहेन पटिजग्गि, इसिसिङ्गो तिस्स नाम अकासि जा. अट्ट, 5.146; द्रष्ट, अम्बुसाजातकवण्णना जा. अट्ट. 5.145-156; तेन परसावसम्भवेन संकिच्चो च कुमारो इसिसिङ्गो च तापसो. मि. प. 129 स्सष. वि., ए. व. कुमारस्स इसिसिङ्गस्स च तापसस्स थेरस्स च मि. प. 130.
इसीका / इसिका / इसिका स्त्री. [ इषीका, इशीका ]. नरकट, नरकुल, सरकण्डा, सौंक, नड का प्र. वि., ए. व.
"सेय्यथापि, महाराज, पुरिसो मुञ्जम्हा ईसिकं पवाहेय्य मुञ्जम्हा त्वेव इसिका पवाळ्हा ति दी. नि. 1.67; म. नि. 2.219; मुञ्जम्हा ईसकन्तिआदि उपमात्तयम्पि हि सदिसभावदस्सनत्थमेव वृत्तं, अन्तो इसिका होति, दी. नि. अट्ठ. 1.179 - कं द्वि. वि. ए. व. 3 सो ततो ईसिकं लुञ्चित्वा परससि सीवलि, अयं इध पुन घटेतु न सक्का, जा. अट्ठ. 6.81; द्वायिट्ठित त्रि, मूंज के अन्दर सरकण्डे के समान स्थित तो पु. प्र. वि. ए. व. - केचि पन ईसिकट्ठायिट्ठितोति पाळिं वत्वा मुञ्जे ईसिका विय ठितोति वदन्ति दी. नि. अट्ठ. 1.91; "सो एवमाह - "सस्सतो अत्ता च लोको च वञ्झो कूटट्ठो एसिकट्ठायिट्ठितो, दी. नि. 1.12.
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इसु पु. [ इषु) वाण इसु उसु सद्द 5.1254. इस ईर्ष्या अर्थ वाली एक धातु इस्स इस्सायं. इस्सति, "देवा न इस्सन्ति पुरिसपरक्कमस्स, इस्सा इस्सायना", सद्द. 2.441; कुध - दुह- इस्स इच्चेतेसं धातूनं पयोगे, .... तं कारकं सम्पदानसञ्ञ होति, क. व्या० 279. इस्स पु० [ ऋष्य / ऋश्य ] एक प्रकार का वन्य पशु, संभवतः भालू अथवा कृष्णमृग ? सो प्र. वि., ए. व. - अच्छो इक्को च इस्सो तु, अभि. प. 612; "इस्सा" ति वुत्ते 'एवनामिका धम्मजाती 'ति विञ्ञयति, "इस्सो "ति वुत्ते पन 'अच्छमिगो ति विञ्ञयति, सद्द० 1.129; - स्सं द्वि. वि., ए. व... इस्सति उपदुस्सति इस्सं बन्धति म. नि. 3.252. इस्सति' इस्स (ईर्ष्या करना) का वर्त. प्र. पु. ए. व. [ईर्ष्यति] ईर्ष्या करता है, डाह करता है इस्स इस्सायं इस्सति, सद्द. 2.441; वत्तमानवसेन ताव इस्सति इस्सन्ति,
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