Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 286
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आसव 259 आसवक्खय भिक्खुनो ये अपर आसवों के संवरेन यही पुप्फासवो फलासवो मध्वासवो गुळासवो सम्भारसंयुत्तो, पाचि. 149. आसव'/अस्सव पु., [आस्रव, पीड़ा, कष्ट, दुःख, बहाव, बौ. सं. आश्रव/आस्रव], क. घाव से बाहर निकल रहा स्राव अथवा तरल बहाव, पीब, मवाद का बहाव या स्राव - वो प्र. वि., ए. व. - सुरायोपद्दवे कामासवादिम्हि च आसवो, अभि. प. 968; - वं द्वि. वि., ए. व. - दुवारुको । कढेन वा ... भिय्योसोमत्ताय आसवं देति, अ. नि. 1(1).147; आसवं देतीति अपरापरं सवति, पुराणवणो हि अत्तनो धम्मतायेव पुब्बं लोहितं यूसन्ति इमानि तीणि सवति ...., अ. नि. अट्ठ. 2.93; स. उ. प. के रूप में, विसन्दमाना. के अन्त. द्रष्ट; ख. चित्त-विशुद्धि की प्रक्रिया में बाधक चित्त की धारा में विद्यमान मादक अकुशल चित्तवृत्तियां, सुदीर्घ काल तक चित्तसन्तति में विद्यमान होने के कारण फलों आदि से तैयार आसव (मादक अर्क) के समान चित्त को मतवाला बना देने वाले अकुशल चैतसिक – वो प्र.. वि., ए. व. - सुरायोपद्दवे कामासवादिम्हि च आसवो, अभि. प. 968; पुग्गलवाचिनो आसवस्स सस्स द्वित्तं आसवो अस्सवो, सद्द. 3.636; -- वा प्र. वि., ए. व. - धम्मतो याव गोत्रभु ओकासतो याव भवग्गं सवन्तीति वा आसवा ... चिरपारिवासियटेन मदिरादयो आसवा, आसवा वियातिपि आसवा, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).66; तयोमे आवुसो आसवा, कामासवो भवासवो, अविज्जासवो, म. नि. 1.70; - वानं ष. वि., ब. व. – विवट दिस्वान पहानमासवानं, सु. नि. 376; आसवानं खयसङ्घातं पन अरहत्तं, अ. नि. अट्ठ. 2.360; - वे द्वि. वि., ब. व. - खेपेत्वा आसवे सब्बे, थेरीगा. 76; - वेहि प. वि., ब. व. - पापरिभावितं चित्तं सम्मदेव आसवेहि विमुच्चति, दी. नि. 2.66; - वेसु सप्त. वि., ब. व. - भिक्खु चित्तं रक्खति आसवेसु च सासवेसु च धम्मेसु, स. नि. 3.306; आसव इस लोक एवं परलोक, दोनों लोकों से सम्बद्ध हैं - वानं ष. वि., ब. व. - दिट्टधम्मिकानं आसवानं संवराय सम्परायिकानं आसवानं पटिघाताय, पारा. 22; आसवों के प्रभेद, 1. 3 प्रकार के आसव, कामासव, भवासव एवं अविद्यासव - वो प्र. वि., ए. व. - तयो आसवा - कामासवो, भवासवो, अविज्जासवो, दी. नि. 3.173; म. नि. 1.70; उप्पज्जेय्यु कामासवो भवासवो अविज्जासवोति तयो आसवा, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).93; 2. आसवों के 4 प्रभेद (कामा., भवा., अविज्जा. एवं दिट्टि.)- अओसु च सुत्तन्तेसु अभिधम्मे च तेयेव दिट्ठासवेन सह चतुधा आगता, म. नि. अट्ठ. (मू.प.) 1(1).67; 3. 5 प्रकार के विपाकों को उत्पन्न करने के आधार पर आसवों के 5 प्रभेद - अत्थि, भिक्खवे, आसवा निरयगमनीया, अस्थि आसवा तिरच्छानयोनिगमनीया, अत्थि आसवा पेत्तिविसयगमनीया, अत्थि आसवा मनुस्सलोकगमनीया, अत्थि आसवा देवलोकगमनीया अयं वुच्चति, भिक्खवे, आसवानं वेमत्तता, अ. नि. 2(2).117; कामासवो च भवासवो च अप्पणिहितेन विमोक्खमुखेन पहानं गच्छन्ति, दिट्ठासवो सुझताय, अविज्जासवो अनिमित्तेन, नेत्ति. 97; 4. आसवों से विमुक्ति के 6 प्रकार के उपायों के आधार पर आसवों के 6 प्रभेद - इध, भिक्खवे, भिक्खुनो ये आसवा संवरा पहातब्बा ते संवरेन पहीना होन्ति, ये आसवा पटिसेवना पहातब्बा ते पटिसेवनाय पहीना होन्ति, ये आसवा अधिवासना पहातब्बा ते अधिवासनाय पहीना होन्ति, ये आसवा परिवज्जना पहातब्बा ते परिवज्जनाय पहीना होन्ति, ये आसवा विनोदना पहातब्बा विनोदनाय पहीना होन्ति, ये आसवा भावना पहातब्बा ते भावनाय पहीना होन्ति, अ. नि. 2(2).96; स. उ. प. के रूप में, अना., अविज्जा ., कामरागभवरागमिच्छादिट्ठा., कामा., खीणा., चतुरा., खीणा., दिट्ठा, निरा., पुब्बा., भवा., सा. के अन्त. द्रष्ट... आसव' पु., व्य. सं., देवताओं का एक वर्ग - वा प्र. वि., ए. व. - लम्बीतका लामसेट्ठा, जोतिनामा च आसवा, दी. नि. 2.192; आसा च देवा आगताति अत्थो... आसा देवता छन्दवसेन आसवाति वुत्ता, दी. नि. अट्ठ. 2.254. आसवकथा स्त्री., कथा. के एक खण्ड का शीर्षक, जिसमें आसवों की चर्चा की गई है, कथा. 415-416. आसवक्खय पु., आसवों का क्षय, अर्हत्व की अवस्था, निर्वाण की अवस्था - यो प्र. वि., ए. व. - मग्गो आसवक्खयोति, म. नि. अट्ट. (मू.प.) 1(1).69; “पत्तो मे आसवक्खयोति, थेरगा. 116; पत्तो मे आसवक्खयोति कामासवादयो आसवा एत्थ खीयन्ति, तेसं वा खयेन पत्तब्बोति आसवक्खयो, निब्बानं अरहत्तञ्च, थेरगा. अट्ठ. 1.252; आसवक्खयो ओधिसो सेक्खानं अनोधिसो अरहन्तानं, पेटको. 191; - यं द्वि. वि., ए. व. – “मदिसा वे जिना होन्ति, ये पत्ता आसवक्खयं, महाव. 12; आसवक्खयन्ति अरहत्तं, अ. नि. अट्ठ. 3.28; नचिरस्सेव आसवक्खयं पत्तोति, स. नि. अट्ठ. 1.213; - या प. वि., ए. व. - आसवा तस्स वडन्ति, आरा सो आसवक्खया ति, स. नि. अट्ठ. 2.47; --- सुत्त For Private and Personal Use Only

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