Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 347
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इत्थिरूपक 320 इथिलिङ्ग - पे/स्मिं सप्त. वि., ए. व. - इत्थिरूपे, भिक्खवे, सत्ता इथिलिङ्ग नपुं.. [स्त्रीलिङ्ग], 1. स्त्री की विशिष्ट पहचान रत्ता गिद्धा गथिता मुच्छिता अज्झोपन्ना, अ. नि. 2(1).63; कराने वाला लिङ्ग या चिह, स्त्री के शरीर के स्तन, केश इत्थिरूपे इत्थिसरे, फोडब्बेपि च इत्थिया, इत्थिगन्धेसु सारत्तो, एवं गुप्तेन्द्रिय आदि ऐसे चिह्न, जो स्त्रीत्व के निर्धारक हैं विविधं विन्दते दुखं, थेरगा. 738; पञ्च कामगुणा एते. -ङ्गं प्र. वि., ए. व. - इत्थिया चाति या पुब्बे मनुस्सकाले इत्थिरूपस्मिं दिस्सरे, रूपा सद्दा रसा गन्धा, फोडब्बा च इत्थी, तस्स इथिलिङ्ग पातुभवति, पुब्बे पुरिसस्स पुरिसलिङ्ग मनोरमा, अ. नि. 2(1).64; - पेन तृ. वि., ए. व. - दी. नि. अट्ठ. 3.47; अञतरस्स भिक्खनो इथिलिङ्ग पातभूतं पक्कमिस्सञ्च नाळातो, कोध नाळाय वच्छति बन्धन्ती होति, पारा. 40; इथिलिङ्ग पातुभूतन्ति रत्तिभागे निर्दे इत्थिरूपेन, समणे धम्मजीविनो, थेरीगा. 295; 2. स्त्री का ओक्कन्तस्स पुरिससण्ठानं मस्सुदाठिकादि सब्बं अन्तरहितं भित्तिचित्र, स्त्री की प्रतिमा - पं द्वि. वि., ए. व. - इत्थिसण्ठानं उप्पन्न, पारा. अट्ठ. 1.219; - ङ्गे सप्त. वि., सेय्यथापि, भिक्खवे, रजको वा, चित्तकारको वा सति रजनाय ए. व. - तरमा इथिलिङ्गे ठितस्स मनुस्सजातिकस्सापि व लाखाय वा हलिहिया वा नीलिया वा मजिट्ठाय वा पत्थना न समिज्झति, बु. वं. अट्ठ. 105; 2. व्याकरण के सुपरिमटे वा फलके भित्तिया वा दुस्सपट्टे वा इत्थिरूपं वा सन्दर्भ में, नामपद का स्त्रीलिङ्ग - पं प्र. वि., ए. व. - पुरिसरूपं वा अभिनिम्मिनेय्य, स. नि. 1(2).90; सुवण्णकारे पुमस्सेति किमत्थं ? इथिलिङ्ग नपुंसकलिङ्ग क. व्या. 222; .... अतिविय पासादिकं घनकोट्टिम इत्थिरूपं कारेवा, ध, प. तक्कारियाति इथिलिङ्ग नाम, जा. अट्ट.4.222; - दस्सन अट्ठ. 2.164; रत्तजम्बुनदमयं इत्थिरूपं कारेत्वा, जा. अट्ठ. नपुं., शब्द में स्त्रीलिङ्ग का देखा जाना - तो प. वि., ए. 4.94; 3. स्त्री का मायानिर्मित छायारूप, अलौकिक शक्ति व. - अद्विवाचकत्ता नपुंसकनिद्देसोति अद्विवाचकत्तेपि द्वारा निर्मित नारी का अवास्तविक रूप- पं द्वि. वि., ए. धातुयोति इथिलिङ्गदस्सनतो..., सद्द. 1.2; - निद्देस पु., व. - सत्था... इद्धिया एकं इत्थिरूपं निम्मिनित्वा तालवण्टं तत्पु. स. [स्त्रीलिङ्गनिर्देश], स्त्री-लिङ्ग का निर्देश, स्त्रीगहेत्वा बीजमानं विय अकासि, अ. नि. अट्ठ. 1.271; सत्था लिङ्ग का संकेत - सो प्र. वि., ए. व. - इथिलिङ्गनिद्देसो पठमयोब्बने ठितं रमणीयं इत्थिरूपं अभिनिम्मिनित्वा, अप. परिमत्तभावसिद्ध इत्थिभावं, थेरगा. अट्ठ. 2.146; - ङ्गानुकूल अट्ठ. 2.282; तम्पिस्स इत्थिरूप पिद्विपस्से ठितं राजा त्रि., स्त्री-लिङ्ग के अनुकूल - लो पु., प्र. वि., ए. व. - अद्दस, ध. प. अट्ठ.2.32. इथिलिङ्गानुकूलो दिस्सति, सद्द. 1.97. इत्थिरूपक नपुं., तत्पु. स., स्त्री का तैलचित्र अथवा इथिलिङ्ग त्रि., ब. स. [स्त्रीलिङ्गक], 1. स्त्रीत्व या नारीत्व भित्तिचित्र, स्त्री की धातु-निर्मित प्रतिमा-कं द्वि. वि., ए. के सूचक चिह्नों से युक्त - ङ्गं नपुं.. द्वि. वि., ए. व. - व. - छब्बग्गिया भिक्खू विहारे पटिभानचित्तं कारापेन्ति इथिलिङ्ग वा परिसलिङ्गं वाति अववत्थपेत्वा .... विसद्धि. इत्थिरूपकं पुरिसरूपकं, चूळव. 278; सुवण्णं दत्वा “एक 1.176; 2. व्याकरण के विशेष सन्दर्भ में, स्त्रीलिङ्ग वाला इत्थिरूपकं करोही ति उय्योजेत्वा, जा. अट्ठ. 5.274; नाम - लो पु., प्र. वि., ए. व. - आणादिवाचको सुवण्णकारेहि इत्थिरूपकं कारेत्वा, अप. अट्ट, 1.268. इथिलिङ्गोयेव सिया सदा, सद्द. 1.253; स्यादिवाचको पुल्लिङ्गो इत्थिलक्खण नपुं.. तत्पु. स., स्त्री के शुभ अथवा अशुभ चेव इत्थिलिङ्गो च विभत्तिस्स, सद्द. 1.253: - वसेन, क्रि. लक्षण, स्त्री से सम्बद्ध अच्छे या बुरे लक्षण - णं प्र. वि., वि. स्त्रीलिङ्ग के होने से - लिङ्गविपल्लासं कत्वा ए. व. - समणब्राह्मणा सद्धादेय्यानि भोजनानि भुजित्वा इथिलिङ्गवसेन बाराणसीति उच्चति, अप. अट्ठ. 2.239; ते एवरूपाय तिरच्छानविज्जाय मिच्छाजीवेन जीवितं कप्पेन्ति, स. उ. प. के रूप में, आकारान्ति., ईकारान्ति.. ऊकारान्ति, सेय्यथिदं मणिलक्खणं... इत्थिलक्खणं..., दी. नि. 1.8; ओकारान्ति के अन्त. द्रष्ट; सद्द. 1.200-225; - हान - णादीनि प्र. वि., ब. व. - इथिलक्खणादीनिपि यहि नपुं, व्याकरणों में प्रयुक्त, स्त्रीलिङ्ग-विवेचक व्याकरणकुले ते इत्थिपुरिसादयो वसन्ति, तस्स वुविहानिवसेनेव स्थल - ने सप्त. वि., ए. व. - गवेनाति आदीनि वेदितब्बानि, दी. नि. अट्ठ. 1.83; - कोविद त्रि., तत्पु. इथिलिङ्गटाने न वुत्तानि, सद्द. 1.212; - ता स्त्री., भाव., स. [स्त्रीलक्षणकोविद], स्त्री के शुभ अथवा अशुभ लक्षणों स्त्रीलिङ्ग से सम्बद्धता, प्र. वि., ए. व. - ननु च भो की पहचान में कुशल - दा पु., प्र. वि., ब. व. - सम्मोहविनोदनि ... इथिलिङ्गता पाकटा, सद्द. 1.95; - इट्ठकवड्डकीगामे इत्थिलक्षणकोविदा, म. वं. 35.109. भावविगम पु., तत्पु. स., स्त्रीलिङ्ग से असम्बद्धता, स्त्रीलिङ्ग For Private and Personal Use Only

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