Book Title: Pali Hindi Shabdakosh Part 01 Khand 02
Author(s): Ravindra Panth and Others
Publisher: Nav Nalanda Mahavihar

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Page 349
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir इत्थिसण्ठान 322 इत्थी स्त्री को स्त्री के रूप में मन में लाने की मनःस्थिति, प्र. इत्थिसहस्सानन्ति वचनमद्वताय वृत्तं सोळसन्नं इत्थिसहस्सानं वि., ए. व. - इत्थिसञिता, कसा अट्ठ. 132. अग्गडाने ठपेतूति अत्थो, जा. अट्ठ. 4.277. इत्थिसण्ठान नपुं.. तत्पु. स. [स्त्रीसंस्थान], नारी का इत्थिसोण्ड पु., तत्पु. स., स्त्रियों के प्रति गहरे लोभ, आकार-प्रकार, स्त्री की आकृति, नारी की सूरत-शक्ल - लालच से भरा हुआ, नारी-लम्पट, स्त्रियों में धुत्त, स्त्री के नेन त. वि., ए. व. - इत्थिसण्ठानेन कतं कट्टरूपम्पि साथ सम्भोग करने के लिए सदा बेचैन रहने वाला – ण्डा दन्तरूपम्पि ..., पारा. अट्ठ. 2.117. प्र. वि., ब. व. -- सोण्डाति इथिसोण्डा भत्तसोण्डा पूवसोण्डा इत्थिसद्द 1. पु., तत्पु. स. [स्त्रीशब्द], स्त्री की आवाज़, मूलकसोण्डा, दी. नि. अट्ठ. 3.117; इत्थिसोण्डाति इत्थीस नारी द्वारा उच्चारित ध्वनि या शब्द, नारी का स्वर - द्दो सोण्डा, इथिसम्भोगनिमित्तं आतप्पनका, लीनत्थ. (दी. नि. प्र. वि., ए. व. - अझं एकसद्दम्पि समनुपस्सामि यं एवं टी.) 3.120; स. प. के रूप में, - ... ददमानो परिसस्स चित्तं परियादाय तिद्वति यथयिदं भिक्खवे इत्थिसहो, इत्थिसोण्डसरासोण्डमंससोण्डादिभावं आपज्जित्वा, जा. अट्ट, अ. नि. 1(1).1-2; तेसु इत्थिसद्दोति इत्थिया चित्तसमुट्ठानो। कथितगीतवादितसद्दो... वीणासङ्घपणवादिसद्दोपि इथिसहोत्वेव इत्थिसोत नपुं., तत्पु. स., स्त्रियों से निकलने वाला वेदितब्बो, अ. नि. अट्ठ 1.18; स. प. के अन्तः, - पुरिसानं (रूपसौन्दर्य का) झरना, स्त्री-विषयिणी तृष्णा के स्रोत के इत्थिसद्दमधुरगन्धब्बसद्दादयो चित्तस्सादकरा मनापसद्दा, पारा. रूप में नारी की सुन्दरता - तानि प्र. वि., ब. व. - अट्ठ. 2.53; - स्सवन नपुं., तत्पु. स. [स्त्रीशब्दश्रवण], इत्थिसोतानि सब्बानि, सन्दन्ति पञ्च पञ्चसु, थेरगा. 739; स्त्री के शब्द को सुनना - नेन तृ. वि., ए. व. - सह इथिसोतानि सब्बानीति इत्थिया रूपादिआरम्मणानि, सब्बानि इत्थिसहस्सवनेन गहणं सिथिलमकासि, अ. नि. अट्ठ. अनवसेसानि पञ्चतण्हासोतानि सन्दन्ति, थेरगा. अट्ठ. 1.19; 2. त्रि., ब. स., नारी के समान स्वर वाला, स्त्री के 2236. समान बोलने वाला - दो पु., प्र. वि., ए. व. - इत्थिसद्दो इत्थी स्त्री., थी के रूप में भी प्राप्त, गाथाओं में अत्यल्प रूप छळाभिओ, राजपुत्तो तु भासिता, ना. रू. प. 867. में प्रयुक्त स्त्रिी]. 1. स्त्रीत्त्व के विशिष्ट लक्षणों से युक्त इत्थिसब्बङ्गसम्पन्न त्रि., नारी की सभी विशेषताओं अथवा मानव जाति का प्राणी, नारी, महिला, पत्नी, 2. किसी भी उत्तम लक्षणों से युक्त - न्ना स्त्री॰, प्र. वि., ए. व. - जानवर की मादा, प्र. वि., ए. व. -इत्थी, सीमन्तिनी नारी इत्थिसब्बङ्गसम्पन्ना, अभिजाता जुतिन्धरा, अप. 2.272. थी वधू वनिताङ्गना, पमदा सुन्दरी कन्ता रमणी दयिताबला, इत्थिसर/इत्थिस्सर पु., तत्पु. स. [स्त्रीस्वर], स्त्री का मातुगामो च महिला, अभि. प. 230-31; इत्थी थी... रमणी स्वर, नारी की आवाज, स्त्री की वाणी-रं द्वि. वि., ए. पमदा दयिता ललना महिलाङ्गना, सद्द. 2.363; सेय्यथापि व. - इत्थिस्सरन्ति इत्थिसदं, अ. नि. अट्ठ. 3.169; - रे नाम इत्थी वा पुरिसो वा दहरो युवा मण्डनकजातिको सप्त. वि., ए. व. - इत्थिरूपे इत्थिसरे, फोडब्बेपि च सीसंन्हातो अहिकुणपेन, पारा. 81; आकारेहि इत्थी पुरिसं इत्थिया ... सारत्तो, थेरगा. 738; इत्थिसरेति इत्थिया बन्धति, अ. नि. 3(1).38; - त्थिं द्वि. वि., ए. व. - अयं गीतलपितहसितरुदितसद्दे, थेरगा. अट्ठ. 2.236. परिसो इत्थिं वा पुरिसं वा जीविता वोरोपेसि, अ. नि. इत्थिसरीर नपुं.. तत्पु. स. [स्त्रीशरीर], नारी का शरीर, 2(1).194; - त्थिया ष. वि., ए. व. - यो च भत्ता इत्थिया स्त्री की काया - रं' प्र. वि., ए. व. - पुरिसस्स हि हितो कतगणं जानाति, उभोपेते सुदुल्लभा, जा. अट्ठ. 5.92; इत्थिसरीरं ... विसभाग, विसुद्धि. 1.173; पुरिसस्स पन राजा रतुस्स पाणं, भत्ता पाणमित्थिया, जा. अट्ठ. इत्थिसरीरं इत्थिया वा पुरिससरीरं न वट्टति, विसुद्धि. 7.265; - त्थियो प्र. वि., ब. व. - दस इथियो - 1.177; - रं द्वि. वि., ए. व. - अहं पन अज्ज पट्ठाय मातुरक्खिता, पितुरक्खिता, मातापितुरक्खिता, भातुरक्खिता इत्थिसरीरं फुसितुं आहारे च लोलभावं कातुं अनरहो, भगिनिरक्खिता, आतिरक्खिता, गोत्तरक्खिता धम्मरक्खिता थेरीगा. अट्ठ. 16; स. प. के रूप में, इत्थिसरीरारुकहानं सारक्खा सपरिदण्डा, पारा. 205; इमिना कारणेन इथियो वत्थालङ्कारमालादीनं फस्सो, थेरगा. अट्ठ. 2.236. नाम असाता लामिका पच्छिमिका ति जानेय्यासी ति, जा. इत्थिसहस्स नपुं., एक हजार स्त्रियों का एक समूह, एक अट्ठ. 1.277; - नं ष. वि., ब. व. - तव माता 'असातमन्तं हजार के झुण्ड में स्त्रियां - स्सानं ष. वि., ब. व. - उग्गण्हा ति मम सन्तिकं पेसयमाना इत्थीनं दोसं जाननत्थं For Private and Personal Use Only

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