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इत्थिसण्ठान
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इत्थी
स्त्री को स्त्री के रूप में मन में लाने की मनःस्थिति, प्र. इत्थिसहस्सानन्ति वचनमद्वताय वृत्तं सोळसन्नं इत्थिसहस्सानं वि., ए. व. - इत्थिसञिता, कसा अट्ठ. 132.
अग्गडाने ठपेतूति अत्थो, जा. अट्ठ. 4.277. इत्थिसण्ठान नपुं.. तत्पु. स. [स्त्रीसंस्थान], नारी का इत्थिसोण्ड पु., तत्पु. स., स्त्रियों के प्रति गहरे लोभ,
आकार-प्रकार, स्त्री की आकृति, नारी की सूरत-शक्ल - लालच से भरा हुआ, नारी-लम्पट, स्त्रियों में धुत्त, स्त्री के नेन त. वि., ए. व. - इत्थिसण्ठानेन कतं कट्टरूपम्पि साथ सम्भोग करने के लिए सदा बेचैन रहने वाला – ण्डा दन्तरूपम्पि ..., पारा. अट्ठ. 2.117.
प्र. वि., ब. व. -- सोण्डाति इथिसोण्डा भत्तसोण्डा पूवसोण्डा इत्थिसद्द 1. पु., तत्पु. स. [स्त्रीशब्द], स्त्री की आवाज़, मूलकसोण्डा, दी. नि. अट्ठ. 3.117; इत्थिसोण्डाति इत्थीस नारी द्वारा उच्चारित ध्वनि या शब्द, नारी का स्वर - द्दो सोण्डा, इथिसम्भोगनिमित्तं आतप्पनका, लीनत्थ. (दी. नि. प्र. वि., ए. व. - अझं एकसद्दम्पि समनुपस्सामि यं एवं टी.) 3.120; स. प. के रूप में, - ... ददमानो परिसस्स चित्तं परियादाय तिद्वति यथयिदं भिक्खवे इत्थिसहो, इत्थिसोण्डसरासोण्डमंससोण्डादिभावं आपज्जित्वा, जा. अट्ट, अ. नि. 1(1).1-2; तेसु इत्थिसद्दोति इत्थिया चित्तसमुट्ठानो। कथितगीतवादितसद्दो... वीणासङ्घपणवादिसद्दोपि इथिसहोत्वेव इत्थिसोत नपुं., तत्पु. स., स्त्रियों से निकलने वाला वेदितब्बो, अ. नि. अट्ठ 1.18; स. प. के अन्तः, - पुरिसानं (रूपसौन्दर्य का) झरना, स्त्री-विषयिणी तृष्णा के स्रोत के इत्थिसद्दमधुरगन्धब्बसद्दादयो चित्तस्सादकरा मनापसद्दा, पारा. रूप में नारी की सुन्दरता - तानि प्र. वि., ब. व. - अट्ठ. 2.53; - स्सवन नपुं., तत्पु. स. [स्त्रीशब्दश्रवण], इत्थिसोतानि सब्बानि, सन्दन्ति पञ्च पञ्चसु, थेरगा. 739; स्त्री के शब्द को सुनना - नेन तृ. वि., ए. व. - सह इथिसोतानि सब्बानीति इत्थिया रूपादिआरम्मणानि, सब्बानि इत्थिसहस्सवनेन गहणं सिथिलमकासि, अ. नि. अट्ठ. अनवसेसानि पञ्चतण्हासोतानि सन्दन्ति, थेरगा. अट्ठ. 1.19; 2. त्रि., ब. स., नारी के समान स्वर वाला, स्त्री के
2236. समान बोलने वाला - दो पु., प्र. वि., ए. व. - इत्थिसद्दो इत्थी स्त्री., थी के रूप में भी प्राप्त, गाथाओं में अत्यल्प रूप
छळाभिओ, राजपुत्तो तु भासिता, ना. रू. प. 867. में प्रयुक्त स्त्रिी]. 1. स्त्रीत्त्व के विशिष्ट लक्षणों से युक्त इत्थिसब्बङ्गसम्पन्न त्रि., नारी की सभी विशेषताओं अथवा मानव जाति का प्राणी, नारी, महिला, पत्नी, 2. किसी भी उत्तम लक्षणों से युक्त - न्ना स्त्री॰, प्र. वि., ए. व. - जानवर की मादा, प्र. वि., ए. व. -इत्थी, सीमन्तिनी नारी
इत्थिसब्बङ्गसम्पन्ना, अभिजाता जुतिन्धरा, अप. 2.272. थी वधू वनिताङ्गना, पमदा सुन्दरी कन्ता रमणी दयिताबला, इत्थिसर/इत्थिस्सर पु., तत्पु. स. [स्त्रीस्वर], स्त्री का मातुगामो च महिला, अभि. प. 230-31; इत्थी थी... रमणी
स्वर, नारी की आवाज, स्त्री की वाणी-रं द्वि. वि., ए. पमदा दयिता ललना महिलाङ्गना, सद्द. 2.363; सेय्यथापि व. - इत्थिस्सरन्ति इत्थिसदं, अ. नि. अट्ठ. 3.169; - रे नाम इत्थी वा पुरिसो वा दहरो युवा मण्डनकजातिको सप्त. वि., ए. व. - इत्थिरूपे इत्थिसरे, फोडब्बेपि च सीसंन्हातो अहिकुणपेन, पारा. 81; आकारेहि इत्थी पुरिसं इत्थिया ... सारत्तो, थेरगा. 738; इत्थिसरेति इत्थिया बन्धति, अ. नि. 3(1).38; - त्थिं द्वि. वि., ए. व. - अयं गीतलपितहसितरुदितसद्दे, थेरगा. अट्ठ. 2.236.
परिसो इत्थिं वा पुरिसं वा जीविता वोरोपेसि, अ. नि. इत्थिसरीर नपुं.. तत्पु. स. [स्त्रीशरीर], नारी का शरीर, 2(1).194; - त्थिया ष. वि., ए. व. - यो च भत्ता इत्थिया
स्त्री की काया - रं' प्र. वि., ए. व. - पुरिसस्स हि हितो कतगणं जानाति, उभोपेते सुदुल्लभा, जा. अट्ठ. 5.92; इत्थिसरीरं ... विसभाग, विसुद्धि. 1.173; पुरिसस्स पन राजा रतुस्स पाणं, भत्ता पाणमित्थिया, जा. अट्ठ. इत्थिसरीरं इत्थिया वा पुरिससरीरं न वट्टति, विसुद्धि. 7.265; - त्थियो प्र. वि., ब. व. - दस इथियो - 1.177; - रं द्वि. वि., ए. व. - अहं पन अज्ज पट्ठाय मातुरक्खिता, पितुरक्खिता, मातापितुरक्खिता, भातुरक्खिता इत्थिसरीरं फुसितुं आहारे च लोलभावं कातुं अनरहो, भगिनिरक्खिता, आतिरक्खिता, गोत्तरक्खिता धम्मरक्खिता थेरीगा. अट्ठ. 16; स. प. के रूप में, इत्थिसरीरारुकहानं सारक्खा सपरिदण्डा, पारा. 205; इमिना कारणेन इथियो वत्थालङ्कारमालादीनं फस्सो, थेरगा. अट्ठ. 2.236.
नाम असाता लामिका पच्छिमिका ति जानेय्यासी ति, जा. इत्थिसहस्स नपुं., एक हजार स्त्रियों का एक समूह, एक अट्ठ. 1.277; - नं ष. वि., ब. व. - तव माता 'असातमन्तं हजार के झुण्ड में स्त्रियां - स्सानं ष. वि., ब. व. - उग्गण्हा ति मम सन्तिकं पेसयमाना इत्थीनं दोसं जाननत्थं
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