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इद्धियान
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इद्धिविसविता पारा. अट्ट, 1.50; ततो महिन्दो इट्टियो उत्तियो सम्बलो विविधता - धं' न., प्र. वि., ए. व. - इद्धि येव विध तथा, ध. स. अट्ठ, 33.
इद्धिविध, इद्धिकोट्ठासो इद्धिविकप्पोति अत्थो, पटि. म. इद्धियान नपुं.. तत्पु. स. [ऋद्धियान], ऋद्धियों वाला अट्ठ. 1.43; इद्धीति इद्धिविधं इद्धिपाटिहारियं नाम, बु. वं. वाहन, ऋद्धिरूपी वाहन या सवारी, ऋद्धियों की सवारी - अट्ठ. 44; - धं द्वि. वि., ए. व. – सो अनेकविहितं नं द्वि. वि., ए. व. - "तेनेव कम्माभिसन्देन इद्धियानं इद्धिविधं पच्चनुभोति, एकोपि हुत्वा बहुधा होति, दी. नि.
अभिरुयह पत्थितं निब्बाननगरं पापुणेय्या ति, मि. प. 257. 1.69; - य तृ. वि., ए. व. - इद्धिविधायाति इद्धिकोडासाय इद्धिलाम पु., तत्पु. स. [ऋद्धिलाभ], ऋद्धियों की प्राप्ति - इद्धिविकप्पाय वा, विसुद्धि. 2.12; - धस्स नपुं., ष. वि., भाय च. वि., ए. व. - ... मग्गो या पटिपदा इद्धिलाभाय ए. व. - इद्धिविधस्स ... लाभीम्ही ति वदतोपि पाराजिक इद्धिपटिलाभाय संवत्तति-अयं वच्चति भिक्खवे इद्धिपादो, नत्थी ति, पारा. अट्ठ. 2.78; -धे नपुं., सप्त. वि., ए. व. स. नि. 3(2).348; इद्धिया इमे चत्तारो पादा इद्धिलाभाय - इज्झनटे पा इद्धिविधे आणं पटि. म. 3; स. प. के इद्धिपटिलाभाय ... इद्धिवेसारज्जाय संवत्तन्तीति, पटि. म. रूप में, - चतुत्थज्झानसमाधिस्मि ... इद्धिविधादिधम्मा 376; इद्धिलाभायाति अत्तनो सन्ताने पातुभाववसेन इद्धीनं इज्झन्ति, अ. नि. अट्ठ. 3.115; - ञाण नपुं, कर्म. स., लाभाय, पटि. म. अट्ठ. 2.245.
ऋद्धि के विविध प्रभेदों का ज्ञान, भिन्न भिन्न ऋद्धियों का इद्धिवड्डननामधेय्य त्रि., ब. स., ऋद्धिवर्धन नाम वाला ज्ञान - णं प्र. वि., ए. व. - सुपरिकम्मकतमत्तिकादयो (एक राजप्रासाद), स. प. के अन्त., - वुद्धिप्पत्तो विय इद्धिविधञाणं दट्ठब्ब, दी. नि. अट्ट, 1.180; - णाय सिरिवड्डनसोमवड्वनइद्धिवड्वननामधेय्येसु तीसु पासादेसु ..., च. वि., ए. व. - सो तथाभावितेन चित्तेन ... बु. वं. अट्ठ. 175.
इद्धिविधञाणाय चित्तं अभिनीहरति, पटि. म. 102; इद्धिवसीभाव पु., तत्पु. स., ऋद्धियों को अपने वश में कर इद्धिविधञाणायाति इद्धिकोट्ठासे, इद्धिविकप्पे वा आणत्थाय,
लेना, ऋद्धियों पर आधिपत्य या प्रभुत्व – वाय च. वि., पटि. म. अट्ट, 1.278; - निद्देस पु., विसुद्धि के बारहवें ए. व. - इद्धिवसीभावायाति इद्धिया इस्सरभावाय, पटि. म. अध्याय का शीर्षक, जिसमें बुद्धघोषाचार्य ने ऋद्धियों का अट्ठ.2.245.
विवेचन किया है, विसुद्धि. 2.1-56. इद्धिविकुब्बन नपुं., [बौ. सं. ऋद्धिविकुर्वण], ऋद्धि का इद्धिविलास पु., तत्पु. स., ऋद्धियों का ललित अथवा विविध रूप से प्रदर्शन - नं प्र. वि., ए. व. - किमेतं मनोहर रूप में प्रदर्शन, ऋद्धि का शानदार या भव्य अच्छरियं लोके, यं मे इद्धिविकुब्बन, बु. वं. (पृ.) 292; - प्रदर्शन - सेन तृ. वि., ए. व. - इद्धिविलासेन विलासेन्तो, नं द्वि. वि., ए. व. - ... आकासं उप्पतित्वा इद्धिविकुब्बनं बु. वं. अट्ठ. 58. दस्सेत्वा ..., अ. नि. अट्ट, 1.228; – ने सप्त. वि., ए. व. इद्धिविसय पु., तत्पु. स. [ऋद्धि-विषय], ऋद्धि का क्षेत्र - - अरहत्तफलेन सद्धियेव च इद्धिविकुब्बने चिण्णवसी ये सप्त. वि., ए. व. - "अनापत्ति भिक्खवे इद्धिमस्स अहोसि, अ. नि. अट्ठ. 1.265; - ता स्त्री., भाव., इद्धिविसयेति, पारा. 80; इद्धिविसयेति ईदिसाय ऋद्धियों के प्रदर्शन की अवस्था या शक्ति, ऋद्धियों का अधिवानिद्धिया अनापत्ति, पारा. अट्ठ. 1.315; - यो प्र. विविध रूप से प्रदर्शन करना - य तृ. वि., ए. व. - वि., ए. व. - इद्धिमतो इद्धिविसयो नाम अचिन्तेय्यो, म. इद्धिविकुब्बनतायाति इद्धिया विविधकरणभावाय, पटि. म. नि. अट्ठ. (म.प.) 2.61; - या ब. व. - न पन सक्कते अट्ठ. 2.245.
मरणस्स ... इद्धिमन्तानं इद्धिविसया, नेत्ति. 21. इद्धिविधञाण नपुं, तत्पु. स., ऋद्धि-विषयक ज्ञान, ऋद्धि इद्धिविसविता स्त्री., [ऋद्धिविषयिता], 1. ऋद्धियों पर
के रूप में अथवा ऋद्धि-शीर्षक में प्राप्त ज्ञान - णाय च. स्वामित्व अथवा प्रभुत्व, ऋद्धियों को अपने विषयक्षेत्र में ले वि., ए. व. - इद्धिविधञाणाय चित्तं अभिनीहरति आना, 2. ऋद्धियों की विविध रूप में प्रवृत्ति – य तृ. वि., अभिनिन्नामेति, पटि. म. 102; इद्धिविधञाणायाति इद्धिकोडासे, ए. व. - चत्तारो इद्धिपादा पञ्जत्ता इद्धिपहुताय इद्धिविकप्पे वा आणत्थाय, पटि. म. अट्ट, 1.278.
इद्धिविसविताय इद्धिविकुब्बनताय, दी. नि. 2.157; इद्धिविधा स्त्री./न, [ऋद्धिविधा], ऋद्धियों के भेद, इद्धिविसवितायाति इद्धिविपज्जनभावाय पनप्पनं आसेवनवसेन ऋद्धियों के प्रकार, ऋद्धियों के खण्ड या भाग, ऋद्धि की चिण्णवसितायाति, दी. नि. अट्ठ. 2210; इद्धिविसवितायाति
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